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Up Kiran, Digital Desk:करीब दो वर्षों से गाजा में जारी तबाही और खून-खराबे के बीच अब शांति की कुछ उम्मीदें नजर आने लगी हैं। शुक्रवार को इस्लामी संगठन हमास ने पहली बार संकेत दिए कि वह अमेरिका की ओर से रखी गई शांति योजना के कुछ अहम हिस्सों को मानने को तैयार है। यह प्रस्ताव अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 20-सूत्रीय योजना का हिस्सा है।
इससे साफ है कि लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष की दिशा अब मोड़ ले सकती है खासकर अगर इजरायल और अन्य पक्ष भी इसे सकारात्मक रूप में लेते हैं।
ट्रंप की धमकी का असर? हमास का बदला सुर
ट्रंप ने बीते हफ्ते एक सख्त संदेश जारी करते हुए कहा था कि यदि हमास ने इस प्रस्ताव को नकारा, तो ऐसी तबाही मचेगी जैसी दुनिया ने पहले कभी नहीं देखी। इसके तुरंत बाद ही हमास की ओर से लचीला रुख देखने को मिला।
हालांकि संगठन ने पूरी योजना को नहीं माना है, लेकिन उसने बंधकों की रिहाई और गाजा प्रशासन को एक नई फिलिस्तीनी संस्था को सौंपने जैसे मुद्दों पर सहमति जताई है वो भी कुछ शर्तों के साथ।
हमास की हाँ में भी लेकिन
कतर, मिस्र, अमेरिका और इजरायल जैसे देशों ने हमास की आंशिक स्वीकृति का स्वागत किया है। लेकिन असल चुनौतियां अब भी बाकी हैं मसलन:
हमास का पूरी तरह हथियार छोड़ना
गाजा में अंतरराष्ट्रीय निगरानी के तहत नया प्रशासन
बंधकों की रिहाई का तय समय
इन बिंदुओं पर अभी भी सहमति नहीं बन पाई है।
हथियार छोड़ने के मुद्दे पर हमास की चुप्पी क्यों
शांति योजना का सबसे संवेदनशील पहलू है हमास का निरस्त्रीकरण। ट्रंप की योजना कहती है कि गाजा में सभी हथियार अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षण में जमा किए जाएं।
लेकिन हमास ने इस पर सीधे कुछ नहीं कहा। संगठन के वरिष्ठ नेता मूसा अबू मरजूक ने इतना जरूर कहा कि हथियार किसी नए फिलिस्तीनी प्रशासन को सौंपे जा सकते हैं, लेकिन वो भी तभी जब यह फैसला फिलिस्तीनियों के बीच आपसी सहमति से हो — न कि किसी बाहरी दबाव से।
डिप्लोमैटिक सूत्रों का मानना है कि यह चुप्पी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। हमास बिना ठोस गारंटी के किसी लिखित सहमति के लिए तैयार नहीं।
कौन चलाएगा गाजा? सत्ता को लेकर फिर टकराव
हमास इस बात के लिए राजी है कि वह गाजा का प्रशासन एक तटस्थ और राष्ट्रीय सहमति वाले फिलिस्तीनी निकाय को सौंप देगा। लेकिन शर्त यह है कि यह निकाय फिलिस्तीनी हो और उसे अरब व मुस्लिम देशों का समर्थन हो।
वहीं ट्रंप की योजना कहती है कि गाजा पर हमास का कोई सीधा या परोक्ष प्रभाव नहीं रहेगा और वहां “बोर्ड ऑफ पीस” नाम का एक अंतरराष्ट्रीय निकाय काम करेगा, जिसमें ट्रंप और टोनी ब्लेयर जैसे विदेशी नेता शामिल होंगे।
हमास ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया है। मरजूक का साफ कहना है टोनी ब्लेयर की भूमिका हमें बिल्कुल मंजूर नहीं।
बंधकों की रिहाई पर अभी भी गतिरोध
ट्रंप की योजना कहती है कि हमास को 48 बंधकों (जिनमें जीवित और मृत दोनों शामिल हैं) को 72 घंटे के भीतर छोड़ना होगा। हमास ने जहां बंधक विनिमय की बात मानी है, वहीं तय समयसीमा को अव्यवहारिक बताया है।
मरजूक के मुताबिक, कई शवों का पता लगाने में हफ्तों लग सकते हैं। इसीलिए 72 घंटे की डेडलाइन पर सहमति मुश्किल है।
गाजा में बहुराष्ट्रीय सुरक्षा बल का प्रस्ताव
शांति योजना में यह भी शामिल है कि गाजा में एक अस्थायी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बल तैनात किया जाए। हमास ने इस पर अभी कोई स्पष्ट रुख नहीं लिया है — न समर्थन किया, न विरोध।
हमास का दो टूक: बाहर से कुछ नहीं चलेगा
हमास का स्पष्ट कहना है कि गाजा का भविष्य और फिलिस्तीनी जनता के अधिकारों पर कोई भी फैसला बाहरी दबाव में नहीं हो सकता। संगठन चाहता है कि सभी फिलिस्तीनी गुटों को बातचीत में शामिल किया जाए और किसी भी सहमति में राष्ट्रीय एकता होनी चाहिए।
क्या शांति की ओर बढ़ेगा गाजा
हमास की आंशिक सहमति के बाद अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि यह प्रस्ताव जमीन पर कब और कैसे अमल में आएगा। इजरायल ने संकेत दिया है कि वह बंधकों की रिहाई के पहले चरण के लिए तैयार है, लेकिन सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
ट्रंप ने भी अब कुछ नरमी दिखाते हुए इजरायल से अपील की है कि बंधकों की सुरक्षित वापसी तक बमबारी रोक दी जाए।