Up Kiran, Digital Desk: पार्टी के अंदर की बैठक में सबसे बड़ा खुलासा यही हुआ कि तेजस्वी यादव से मिलना किसी के लिए आसान नहीं था। वरिष्ठ नेता और मौजूदा विधायक भी घंटों इंतजार करते रहते थे। जब मिलते भी तो तेजस्वी अकेले नहीं होते थे। नतीजा यह हुआ कि जमीनी हकीकत ऊपर तक नहीं पहुंच पाई। कार्यकर्ता कहते हैं कि अगर बात सुनने वाला ही दूर रहेगा तो हार कैसे नहीं होगी।
संजय यादव की पेड टीम ने पुराने नेताओं को कर दिया साइड
चुनाव की पूरी कमान संजय यादव और उनकी कथित पेड टीम के हाथ में थी। जिला और प्रखंड स्तर के नेता पूरी तरह बाहर कर दिए गए। सर्वे भी इन्हीं लोगों ने करवाया। नतीजा 33 बैठे विधायकों का टिकट कट गया। कई ने बगावत कर दी और निर्दलीय या दूसरी पार्टी से लड़ लिए। जो नेता सक्रिय रहना चाहते थे उन्हें भी एक पोलो रोड पर रिपोर्ट करने को कहा जाता था। इससे कार्यकर्ताओं में गुस्सा भरा रहा।
लालू को पोस्टर से गायब कर दिया गया
राजद का सबसे बड़ा चेहरा लालू प्रसाद यादव को बैनर और पोस्टर से ही गायब कर दिया गया। लालूवाद के लाखों समर्थक यह देखकर निराश हो गए। ऊपर से तेज प्रताप का निष्कासन और रोहिणी आचार्य की बगावत ने मैसेज दे दिया कि परिवार में सब ठीक नहीं है। मतदाता ने इसे सीधे वोट से जोड़ लिया।
हरियाणा-दिल्ली के यू-ट्यूबर से प्रचार, बिहार के नेता बेकार
प्रचार के लिए बिहार के नेताओं को नजरअंदाज कर दिल्ली और हरियाणा से यू-ट्यूबर बुलाए गए। माई-बहन योजना के फॉर्म भी बाहर की टीम को भरने दिए गए। उन पर पैसे लेने के आरोप भी लगे। स्थानीय कार्यकर्ता हाथ पर हाथ धरे देखते रहे। नतीजा जनता तक बात नहीं पहुंची।
हर घर नौकरी वाला वादा किसी को नहीं भाया
राजद का सबसे बड़ा वादा हर घर नौकरी था लेकिन लोग इसे अव्यवहारिक मानकर हंसते रहे। दो सौ यूनिट फ्री बिजली और पेंशन बढ़ाने का वादा भी फीका पड़ गया क्योंकि नीतीश सरकार ने इन्हें पहले ही लागू कर दिया था। जनता ने पूछा कि नई बात क्या ला रहे हो।
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