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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की सियासी राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिला है, जहां एनडीए के अंदर तनाव और मतभेदों का उबाल सामने आया है। सोमवार को लखीसराय में आयोजित एक बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा और मंत्री अशोक चौधरी के बीच तीखी बहस छिड़ गई। इस घटना का कारण एक छोटा सा विवाद था, जिसमें विजय सिन्हा ने ग्रामीण कार्य विभाग के कार्यक्रम में स्थानीय विधायक को आमंत्रित न करने पर नाराजगी जाहिर की। यह विवाद फिर एनडीए के भीतर सियासी खींचतान का रूप लेता हुआ दिखाई दिया।
विजय सिन्हा का आरोप: गठबंधन में समन्वय की कमी
विजय सिन्हा ने बैठक के दौरान यह आरोप लगाया कि गठबंधन के सभी सहयोगियों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए और एकजुट रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि एनडीए के भीतर समन्वय की कमी होगी, तो गठबंधन कमजोर हो सकता है, और इसका सीधा असर सरकार की स्थिरता पर पड़ेगा। उनका यह भी कहना था कि कोई भी सदस्य अपनी स्वतंत्रता के आधार पर अपने साथी विधायकों को नजरअंदाज नहीं कर सकता। उनके इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी, और चर्चा का एक नया विषय बना।
प्रहलाद यादव और ग्लोबल टेंडरिंग: और भी मुद्दे गरमाए
विजय सिन्हा ने इस बीच प्रहलाद यादव का नाम भी लिया, जिन्होंने सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका कहना था कि यह बात पहले ही शीर्ष नेताओं के ध्यान में लाई जा चुकी थी, लेकिन फिर भी यह मुद्दा सामने लाया गया। इस पर भी बैठक के दौरान तनाव बढ़ गया, और कुछ विधायकों ने अपने विरोध को सार्वजनिक किया। इसके अलावा, ग्लोबल टेंडरिंग की प्रक्रिया पर भी नाराजगी जताई गई। विधायकों का मानना था कि इसमें पारदर्शिता का अभाव है, जो सरकार की छवि को धक्का पहुंचा सकता है।
राजनीतिक असंतुलन: एनडीए के भीतर अनबन का असर
यह घटनाक्रम दिखाता है कि बिहार में एनडीए के भीतर असंतुलन और मतभेद गहरे होते जा रहे हैं। विजय सिन्हा द्वारा उठाए गए मुद्दों ने एनडीए के अंदर समन्वय की आवश्यकता को उजागर किया है। हालांकि, यह भी देखा जाएगा कि इस प्रकार की सियासी बहसों और अंदरूनी टकरावों का असर गठबंधन की स्थिरता पर कितना पड़ता है। इस घटनाक्रम के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि गठबंधन की पार्टियां अपने अंतरविरोधों को सुलझाकर एकजुटता बनाए रखने की कोशिश करेंगी, ताकि जनता के बीच सकारात्मक छवि बने रहे।
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