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Up Kiran, Digital Desk: बिहार की सियासत में नकली दवाओं के पुराने मामले ने एक बार फिर गर्मी बढ़ा दी है। ताजा मामला बीजेपी कोटे के नगर विकास मंत्री जीवेश मिश्रा से जुड़ा है, जिनपर फर्जी दवाइयों के कारोबार को लेकर पहले से ही कोर्ट का फैसला आ चुका है। इसी विवादित मुद्दे पर टिप्पणी करने वाले कुछ नेताओं को अब बीजेपी के कानूनी प्रकोष्ठ ने लीगल नोटिस थमा दिया है।
बीजेपी लीगल सेल के संयोजक आर. दीक्षित ने सोमवार को पार्टी दफ्तर में प्रेस वार्ता कर जानकारी दी कि जिन लोगों ने बिना तथ्यात्मक आधार के मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए हैं, उन्हें 15 दिनों के भीतर माफी मांगनी होगी। दीक्षित ने साफ किया कि अगर तय वक्त तक माफी नहीं आई तो मानहानि समेत कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। नोटिस पाने वालों में सांसद पप्पू यादव, आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्या और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम का नाम सामने आया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, इस पूरे विवाद की जड़ करीब 15 साल पुराना एक केस है। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि सितंबर 2010 में राजस्थान के राजसमंद जिले के देवगढ़ में एक दवा डिस्ट्रीब्यूटर कंपनी पर छापेमारी हुई थी। इस दौरान लिए गए सैंपल की लैब जांच में पाया गया कि कुछ दवाएं घटिया और अमानक स्तर की थीं। इन दवाओं की सप्लाई जिस कंपनी से हुई, उसका नाम ऑल्टो हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड बताया गया, जिसके निदेशक के तौर पर जीवेश मिश्रा का नाम सामने आया था।
राजसमंद की अदालत ने इस साल 4 जून को मिश्रा समेत 9 लोगों को दोषी ठहराया था। बाद में 1 जुलाई को सजा का ऐलान करते हुए कोर्ट ने जुर्माना लगाकर उन्हें सशर्त रिहा कर दिया। शर्त यह थी कि वह अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के तहत अपना आचरण ठीक रखेंगे।
विपक्ष के निशाने पर मंत्री
मामले पर विपक्ष हमलावर है। सांसद पप्पू यादव ने तो बिहार के सीएम नीतीश कुमार से साफ-साफ कह दिया कि अगर मंत्री दोषी साबित हो चुके हैं तो उन्हें पद से तुरंत बर्खास्त करें। पप्पू यादव ने जीवेश मिश्रा को 'नकली दवा माफिया' बताते हुए सरकार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
उधर, रोहिणी आचार्या ने भी सोशल मीडिया पर तीखा वार किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मुख्यमंत्री एक बेबस और समझौता करने वाली सरकार चला रहे हैं, जिसमें दोषी साबित हो चुका व्यक्ति भी मंत्री की कुर्सी पर बैठा है। उन्होंने एनडीए सरकार को अनैतिक लोगों का अड्डा बताया और कहा कि दोषी मंत्री को बाहर करना तो दूर, इस पर कोई कुछ बोलने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है।
कांग्रेस के प्रदेश मीडिया विभाग के अध्यक्ष राजेश राठौड़ ने भी नकली दवाओं के नेटवर्क की पूरी पड़ताल कराने की मांग उठाई है ताकि सच्चाई सामने आ सके।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी का कहना है कि मंत्री जीवेश मिश्रा का न तो किसी दवा कंपनी में मालिकाना हक है और न ही उनकी कोई कारोबारी हिस्सेदारी है। लीगल सेल के अनुसार विपक्षी दल बेबुनियाद आरोप लगाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं, इसलिए उन्हें अपने बयान वापस लेने होंगे।
अब देखना यह होगा कि नोटिस मिलने के बाद विपक्ष के ये नेता क्या रुख अपनाते हैं और बिहार की राजनीति में यह मामला आगे क्या मोड़ लेता है।
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