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Up Kiran, Digital Desk: हर नवंबर आते ही दिल्ली और उसके आसपास का आसमान धुंध से ढंक जाता है। सांस लेना मुश्किल हो जाता है और आंखें जलने लगती हैं। इस बार भी कुछ वैसा ही हो रहा है। सोमवार को कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI चार सौ के पार पहुंच गया। इसे “गंभीर” श्रेणी में रखा जाता है। मतलब हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि स्वस्थ इंसान को भी तकलीफ होने लगती है।

लेकिन सबसे ज्यादा चिंता उन महिलाओं की है जो इन दिनों गर्भवती हैं। डॉक्टर लगातार चेता रहे हैं कि इस तरह की जहरीली हवा मां के साथ साथ पेट में पल रहे बच्चे को भी स्थायी नुकसान पहुंचा सकती है। कम वजन वाला बच्चा पैदा होना, समय से पहले डिलीवरी और यहां तक कि स्टिलबर्थ का खतरा भी बढ़ जाता है।

हवा का जहर प्लेसेंटा को चीरकर बच्चे तक पहुंच रहा

वैज्ञानिक अध्ययनों में साफ हो चुका है कि हवा में मौजूद बेहद बारीक कण जिन्हें PM2.5 कहते हैं वो फेफड़ों से होते हुए खून में मिल जाते हैं। वहां से ये मां के प्लेसेंटा तक पहुंचते हैं और फिर बच्चे के शरीर में घुस जाते हैं। नतीजा यह होता है कि बच्चे का विकास रुकने लगता है। उसका वजन कम रह जाता है और कई अंग पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते।

दुनिया भर के शोध बताते हैं कि जितना ज्यादा प्रदूषण उतना ही ज्यादा खतरा। लैंसेट जैसी मेडिकल जर्नल में छपी एक स्टडी कहती है कि दिल्ली जैसे शहरों में हर साल हजारों बच्चे सिर्फ मां के गर्भ में प्रदूषण की वजह से कमजोर पैदा हो रहे हैं।

अस्पतालों में डॉक्टर सबसे ज्यादा परेशान इन्हीं मामलों से हैं

फोर्टिस और मैक्स जैसे बड़े अस्पतालों के गायनेकोलॉजिस्ट बताते हैं कि अक्टूबर से फरवरी के बीच प्री-मैच्योर डिलीवरी के केस करीब बीस फीसदी तक बढ़ जाते हैं। कई बार तो बच्चे का वजन दो किलो से भी कम होता है। ऐसे बच्चों को लंबे समय तक NICU में रखना पड़ता है और उनकी जिंदगी भर कई बीमारियों का खतरा बना रहता है।

घर में कैद रहना ही सबसे सुरक्षित विकल्प

अगर आप प्रेग्नेंट हैं और दिल्ली NCR में रहती हैं तो इस मौसम में सबसे अच्छा यही है कि घर से कम से कम निकलें। खासकर सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक का वक्त सबसे खराब होता है। इस दौरान बाहर बिल्कुल न जाएं।

पानी खूब पिएं। दिन में कम से कम तीन लीटर पानी जरूरी है। इससे शरीर के टॉक्सिन बाहर निकलते रहते हैं और गला भी साफ रहता है।

अगर मजबूरी में बाहर जाना ही पड़े तो N95 मास्क जरूर लगाएं। साधारण कपड़े का मास्क इन बारीक कणों को रोक नहीं पाता। N95 असली वाला हो तो साठ से सत्तर फीसदी जहरीले कण बाहर ही रह जाते हैं।