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ईसाई धर्म के सर्वोच्च नेता पोप फ्रांसिस का आज निधन हो गया। वे 88 वर्ष के थे और वेटिकन स्थित अपने आवास कासा सांता मार्टा में उन्होंने अंतिम सांस ली। यह दुखद समाचार वेटिकन प्रशासन ने सार्वजनिक किया, जिसमें बताया गया कि पोप का निधन सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को ईस्टर सोमवार के दिन हुआ। पोप फ्रांसिस पिछले कुछ समय से गंभीर रूप से बीमार थे और उनका इलाज चल रहा था।

लंबे समय से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे

पोप फ्रांसिस की तबीयत बीते कुछ महीनों से लगातार खराब चल रही थी। हाल ही में उन्हें रोम के प्रसिद्ध जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां उनके फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारी का इलाज किया जा रहा था। इलाज के दौरान उनकी किडनी ने भी काम करना धीमा कर दिया था, जिससे उनकी हालत और नाजुक होती चली गई। उनकी बिगड़ती सेहत को देखते हुए, दुनियाभर के अनुयायियों और धर्मगुरुओं ने उनके लिए प्रार्थनाएं की थीं।

पोप फ्रांसिस की सादगी और पहनावे ने दिल जीता

पोप फ्रांसिस हमेशा अपनी सादगी और विनम्र जीवनशैली के लिए जाने जाते थे। वे ना सिर्फ अपने व्यवहार में सरल थे, बल्कि उनके पहनावे में भी यह साफ झलकता था। वे चर्च से मिलने वाली किसी भी वित्तीय सहायता को नहीं लेते थे और अक्सर सामान्य कपड़ों में दिखाई देते थे। लेकिन इसके बावजूद, एक चीज़ जो हमेशा चर्चा में रहती थी, वह थी उनके चमकीले लाल जूते।

आखिर क्यों पहनते थे पोप फ्रांसिस लाल जूते?

पोप फ्रांसिस के लाल जूते हमेशा से ही मीडिया और लोगों की नजरों में रहे हैं। अक्सर यह सवाल उठता रहा कि वे हर बार लाल जूते ही क्यों पहनते हैं? दरअसल, यह परंपरा 2003 में शुरू हुई थी, जब इतालवी मोची एंटोनियो अरेलानों ने पोप के लिए विशेष लाल जूते बनाए थे। ये जूते पहली बार वेटिकन में पहुंचे और सबसे पहले पोप बेनेडिक्ट XVI ने इन्हें पहना। इसके बाद पोप फ्रांसिस ने इस परंपरा को अपनाया और बनाए रखा।

एंटोनियो अरेलानों और लाल जूतों की कहानी

लाल जूतों की इस अनूठी परंपरा के पीछे एक दिलचस्प किस्सा है। एक दिन एंटोनियो अरेलानों, जो पेशे से एक मोची हैं, रोम की सड़कों पर घूम रहे थे। उन्होंने देखा कि भीड़ एक खास व्यक्ति के लिए जमा है और जब उन्होंने टेलीविजन पर देखा तो पता चला कि वह व्यक्ति कार्डिनल रैटजिंगर हैं, जो बाद में पोप बेनेडिक्ट बने। इसके बाद अरेलानों ने निर्णय लिया कि वे नए पोप को विशेष लाल जूते भेंट करेंगे।

जब वे आम दर्शन सभा में पोप से मिले तो पोप ने उन्हें पहचानते हुए कहा, "यह मेरा शूमेकर है।" यह पल अरेलानों के लिए अविस्मरणीय बन गया। उन्होंने बताया कि लाल जूते चमड़े के बनाए गए थे और इनका डिज़ाइन पूरी तरह से पोप की सादगी और गरिमा को ध्यान में रखकर किया गया था।

लाल रंग का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व

ईसाई धर्म में लाल रंग को खास महत्व दिया जाता है। यह रंग न सिर्फ जुनून का प्रतीक है बल्कि शहादत और बलिदान की याद भी दिलाता है। माना जाता है कि यह रंग उन शहीदों का प्रतीक है जिन्होंने चर्च के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। यही कारण है कि कैथोलिक परंपरा में लाल जूते पहनना पोप की आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जिम्मेदारियों की एक पहचान बन गया।

इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि जब कोई व्यक्ति कार्डिनल बनता है, तो वह भी लाल रंग के जूते पहनता है, इसलिए यह परंपरा पोप के पहले कार्डिनल बनने की याद को भी संजोती है। इस परंपरा को पोप फ्रांसिस ने पूरी श्रद्धा के साथ निभाया और यह उनकी पहचान का एक अहम हिस्सा बन गई।

कई यादें छोड़ गए पोप फ्रांसिस

पोप फ्रांसिस न केवल धार्मिक नेता थे, बल्कि वे वैश्विक मुद्दों पर अपनी सोच और मानवीय मूल्यों के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने सामाजिक न्याय, गरीबी उन्मूलन और पर्यावरण सुरक्षा जैसे विषयों पर लगातार आवाज उठाई। उनके विचार और कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे।