
Up Kiran, Digital Desk: राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अभिनेत्री दिव्या दत्ता (Divya Dutta) ने हाल ही में अपनी आने वाली सीरीज़ 'मायासभा: द राइज़ ऑफ द टाइटन्स' (Mayasabha: The Rise of the Titans) में निभाए अपने दमदार किरदार को लेकर अपने विचार साझा किए हैं। एक ऐसी दुनिया में, जो पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान (male-dominated world) मानी जाती है, एक शक्तिशाली महिला की भूमिका निभाना उनके लिए एक "भारी" लेकिन "फूर्तिदायक" (fulfilling) अनुभव रहा।
जब दिव्या दत्ता से पूछा गया कि एक बहुत ही पुरुष-प्रधान दुनिया में, जो पारंपरिक रूप से नियंत्रित उद्योगों (traditionally ruled industry) के बीच अपनी एक विशेष पहचान रखती है, ऐसी "आदेशात्मक" (commanding) भूमिका निभाना कैसा रहा, तो उन्होंने खुलकर कहा, “यह भारी था।”
"भारी तो था, पर वो अहसास भी था कि मैंने कुछ किया है:अभिनेत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया, “यह पूरी तरह से भारी था, अगर मैं कह सकती हूं। लेकिन, जैसा कि मैंने किसी और से भी कहा था - जब आप कुशलता से कुछ करते हैं, चाहे वह आपकी नौकरी हो, या आप एक अभिनेता हों, एक राजनेता हों, या कोई और, आप अपनी एक पहचान बनाते हैं।”
दिव्या दत्ता का मानना है कि आपके काम का प्रभाव, आपकी शक्ति, भले ही वह हर जगह सराही न जाए, पर उसे कहीं न कहीं स्वीकार (acknowledged) ज़रूर किया जाता है। "सब कुछ के बावजूद, जिस पर हम बात कर रहे हैं, यह निश्चित रूप से कहीं न कहीं स्वीकार किया जाएगा, और हो सकता है कि इसे उतनी सराहना न मिले, लेकिन इसे पहचाना जाएगा, और लोग आपकी शक्ति और आपके पास मौजूद उस चीज़ के प्रति जागरूक होंगे," दत्ता ने आत्मविश्वास से कहा। यह विचार विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो रूढ़ियों को तोड़कर आगे बढ़ने का साहस करती हैं।
निर्देशक का 'स्पष्ट विजन' बनी ‘ताकत’:अभिनेत्री ने बताया कि उनके किरदार 'इरावती' (Iravati) को गढने में निर्देशक देवा कट्टा (Director Deva Katta) के स्पष्ट दृष्टिकोण (clear vision) का अहम योगदान रहा। दत्ता के अनुसार, निर्देशक का यह स्पष्ट विजन ही उन्हें एक कलाकार के रूप में आत्मविश्वास (confidence) और अपने किरदार के प्रति एक अनूठी स्पष्टता (clarity) प्रदान कर रहा था, जिससे उन्हें अपने काम को कुशलता से करने में मदद मिली।
व्यक्तिगत विश्वास या निर्देशक की सोच :जब उनसे यह पूछा गया कि क्या किसी विशेष विश्वास प्रणाली (belief system) ने उनके अभिनय को प्रभावित किया, तो दिव्या दत्ता ने स्पष्ट किया कि ऐसा कुछ भी नहीं था। उन्होंने कहा, “नहीं, वास्तव में मेरा ऐसा कोई खास व्यक्तिगत विश्वास नहीं है, और इरावती के रूप में मेरा अभिनय पूरी तरह से वही है जो मेरे निर्देशक, देवा कट्टा, ने देखा था, और वह मुझसे क्या करवाना चाहते हैं, इस बारे में वह बहुत, बहुत स्पष्ट थे।”दत्ता ने यह भी जोड़ा कि यह एक कलाकार के लिए एक बहुत ही "आरामदायक एहसास" (relaxing feeling) होता है, जब निर्देशक का विजन इतना स्पष्ट हो।
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