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पूरे ईसाई समुदाय के लिए यह एक शोक की घड़ी है। पोप फ्रांसिस, जो कि रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। उन्होंने 88 वर्ष की उम्र में अपनी अंतिम सांस ली। वेटिकन द्वारा जारी किए गए आधिकारिक बयान के अनुसार, उनका निधन ईस्टर सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को वेटिकन स्थित कासा सांता मार्टा में हुआ। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और फेफड़ों के गंभीर संक्रमण से जूझ रहे थे, जिसके कारण उनके गुर्दे भी प्रभावित होने लगे थे। इलाज के दौरान रोम के जेमेली अस्पताल में उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई।

एक सादा और संवेदनशील जीवन जीने वाले पोप

पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो था और उनका जन्म 1936 में अर्जेंटीना में हुआ था। वे पहले लैटिन अमेरिकी और पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। 13 मार्च 2013 को उन्होंने पोप का पद ग्रहण किया था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कैथोलिक चर्च में एक नई सोच और मानवता की भावना लाई। वे अपनी सादगी, करुणा और समाज के वंचित वर्गों के लिए अपनी विशेष संवेदनशीलता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, शरणार्थियों के अधिकार और धार्मिक सहिष्णुता जैसे मुद्दों पर खुलकर आवाज उठाई।

पोप का पद और उसकी जिम्मेदारियाँ क्या होती हैं?

पोप रोमन कैथोलिक चर्च के सबसे उच्च धर्मगुरु होते हैं। वे वेटिकन सिटी के प्रमुख होने के साथ-साथ पूरी दुनिया के कैथोलिक समुदाय के आध्यात्मिक मार्गदर्शक भी माने जाते हैं। कैथोलिक परंपरा के अनुसार, पोप को संत पीटर का उत्तराधिकारी माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यीशु मसीह ने संत पीटर को अपनी चर्च की नींव माना था, और उसी परंपरा को पोप के रूप में आगे बढ़ाया जाता है।

पोप न केवल धार्मिक मामलों में दिशा निर्देश देते हैं, बल्कि वे कैथोलिक सिद्धांतों की व्याख्या, विश्व शांति की अपील, सामाजिक मुद्दों पर विचार और नैतिक नेतृत्व भी प्रदान करते हैं। दो हजार वर्षों से भी अधिक पुराना यह पद, आज भी करोड़ों अनुयायियों के विश्वास का केंद्र बना हुआ है।

अब नए पोप का चुनाव कैसे होगा?

पोप फ्रांसिस के निधन के बाद अब पूरी दुनिया की निगाहें वेटिकन की ओर हैं, जहां जल्द ही नए पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी। यह चुनाव एक विशेष सभा ‘कॉन्क्लेव’ के माध्यम से होता है, जिसमें पूरी दुनिया से चुने गए वरिष्ठ कैथोलिक धर्मगुरु यानी कार्डिनल्स हिस्सा लेते हैं।

इस गुप्त मतदान प्रक्रिया में हर कार्डिनल एक पर्ची पर अपना पसंदीदा उम्मीदवार लिखता है और उसे एक विशेष पात्र में डालता है। इन वोटों की गिनती तीन अधिकारी करते हैं। यदि किसी एक उम्मीदवार को दो-तिहाई से अधिक मत मिल जाते हैं, तो वह व्यक्ति नया पोप घोषित कर दिया जाता है।

कैसे होता है इस चुनाव का सार्वजनिक संकेत?

जब नए पोप का चयन हो जाता है, तो चुनावी प्रक्रिया की समाप्ति का संकेत देने के लिए पर्चियों को जला दिया जाता है, जिससे सफेद धुआं निकलता है। यह सफेद धुआं वेटिकन सिटी की चिमनी से निकलता है और पूरी दुनिया को संकेत देता है कि नया पोप चुन लिया गया है। लेकिन अगर किसी को जरूरी बहुमत नहीं मिला, तो भी पर्चियां जलाई जाती हैं, पर उस स्थिति में काला धुआं निकलता है जो यह दर्शाता है कि चुनाव अभी पूरा नहीं हुआ है।

नए पोप के चुने जाने के बाद एक वरिष्ठ कार्डिनल बाहर आकर घोषणा करता है – “हैबेमस पापम” यानी “हमारे पास एक पोप है।” इसके बाद नए पोप सामने आकर जनसभा को संबोधित करते हैं।

अब कौन होगा अगला पोप?

फिलहाल नए पोप के नाम को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। हालांकि किसी का नाम सार्वजनिक रूप से सामने नहीं आया है, लेकिन कार्डिनल्स के बीच कुछ प्रभावशाली चेहरों पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं। चर्च के इतिहास में यह समय विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह वह क्षण होता है जब पूरी दुनिया एक नए आध्यात्मिक मार्गदर्शक की प्रतीक्षा करती है।