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तीर्थ पुजारियों ने बदरी-केदार मंदिर समिति के नए फैसलों पर नाराजगी जताई है। मंदिर समिति की ओर से श्री बदरीश पंडा पंचायत ने तीर्थ पुजारियों की सीसीटीवी से निगरानी का विरोध किया है.

मंदिर समिति की तरफ से श्री बद्रीश पंडा पंचायत अध्यक्ष प्रवीण ध्यानी व कोषाध्यक्ष अशोक टोडरिया ने तीर्थ पुरोहित के धार्मिक व परंपरागत अधिकारों को सीमित करने का विरोध किया है.  

टोडरिया ने कहा कि बद्रीनाथ धाम का स्वरूप तीर्थ पुरोहितों की सैकड़ों पीढ़ियों के अथक परिश्रम और प्रयास का परिणाम है। कहा जाता है कि जब बद्रीनाथ धाम की यात्रा बहुत कठिन और कठिन होती थी, तब तीर्थ पुरोहित पूरे भारत में यात्रा करते थे और भक्तों को यात्रा के लिए प्रेरित करते थे और तीर्थयात्रियों के लिए आवश्यक सुविधाएं भी देते थे।

उन्होंने कहा कि तीर्थ पुरोहितों ने भगवान बदरीनाथ के प्रचार को हिमालय से दूर कश्मीर, कन्याकुमारी, असम, मणिपुर तक फैलाया है। देवभूमि में तीर्थयात्रियों द्वारा अपने यजमानों द्वारा अनेक तीर्थ मार्गों, पैदल पुलों, धर्मशालाओं आदि का निर्माण किया गया है, मगर आज तीर्थयात्री समुदाय अपने अधिकारों से वंचित हो रहा है। तीर्थ पुरोहितों ने धार्मिक कार्यों के दौरान ली जाने वाली दक्षिणा को सीसीटीवी की निगरानी में रखना अनुचित बताया है। पंडा पंचायत ने कहा कि मंदिर समिति को बदरीनाथ यात्रा को सुगम बनाने और शंकराचार्य की तपस्या जोशीमठ को सुरक्षित करने के लिए कहा गया है।

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