
Up Kiran, Digital Desk: कैथोलिक चर्च के इतिहास में आज एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज हुआ जब कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट को नए पोप के रूप में चुना गया। गहन और कई दिनों तक चले कॉन्क्लेव के बाद, व्हाइट स्मोक आखिरकार सेंट पीटर बेसिलिका के ऊपर चिमनी से निकला, जिसने दुनिया भर के लाखों कैथोलिकों की उत्सुकता और प्रार्थनाओं का अंत किया।
कार्डिनल प्रेवोस्ट, जो वर्तमान में डिकैस्टरी फॉर बिशप्स के प्रीफेक्ट के रूप में कार्यरत हैं, पहले अमेरिकी पोप होंगे और वे लियो XIV के नाम से अपना pontificate शुरू करेंगे। उनका चुनाव कई लोगों के लिए आश्चर्य की बात है, हालांकि उन्हें एक अनुभवी और सम्मानित चर्च नेता के रूप में जाना जाता है।
कॉन्क्लेव, जिसमें दुनिया भर के 100 से अधिक कार्डिनलों ने भाग लिया, गोपनीयता और प्रार्थना के माहौल में आयोजित किया गया। नए पोप के चुनाव के लिए कई दौर के मतदान हुए, जिसके बाद आज आखिरकार कार्डिनल प्रेवोस्ट के नाम पर सहमति बनी।
सेंट पीटर स्क्वायर में एकत्रित विशाल भीड़ ने खुशी और उत्साह के साथ व्हाइट स्मोक के निकलने का स्वागत किया। घंटियाँ बजने लगीं और लोग नए पोप को देखने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
कार्डिनल प्रेवोस्ट का पोप के रूप में चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है। वह न केवल पहले अमेरिकी पोप हैं, बल्कि उनका अनुभव और नेतृत्व चर्च के लिए कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। माना जा रहा है कि उनका ध्यान चर्च में एकता, पारदर्शिता और समकालीन मुद्दों पर नए दृष्टिकोण लाने पर केंद्रित रहेगा।
लियो XIV के रूप में, कार्डिनल प्रेवोस्ट अपने पूर्ववर्तियों की विरासत को आगे बढ़ाएंगे और दुनिया भर के कैथोलिक समुदाय का नेतृत्व करेंगे। उनके सामने बाल यौन शोषण के मामलों से निपटना, चर्च में विश्वास बहाल करना और आधुनिक समाज की चुनौतियों का सामना करना जैसी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां होंगी।
उनके पहले सार्वजनिक संबोधन का दुनिया भर के कैथोलिक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जिसमें वे अपनी दृष्टि और चर्च के भविष्य के लिए अपनी योजनाओं को साझा करेंगे।
कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रेवोस्ट का पोप लियो XIV के रूप में चुनाव निश्चित रूप से कैथोलिक चर्च के इतिहास में एक नया अध्याय लिखेगा और दुनिया भर के लाखों अनुयायियों के लिए आशा और प्रेरणा का स्रोत बनेगा। अब सबकी निगाहें उनके pontificate पर टिकी हैं कि वे चर्च को किस दिशा में ले जाते हैं और किन चुनौतियों का सामना करते हैं।
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