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Up Kiran, Digital Desk:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार, 9 सितंबर को पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। इस दौरे का उद्देश्य दोनों राज्यों में आई आपदा की स्थिति का प्रत्यक्ष जायजा लेना है। प्रधानमंत्री बाढ़ से प्रभावित लोगों की स्थिति को समझने के साथ ही राहत और बचाव कार्यों की समीक्षा करेंगे।

पंजाब: बाढ़ ने मचाई भारी तबाही

पंजाब में बाढ़ ने विकराल रूप ले लिया है। अब तक 46 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि लाखों लोग सुरक्षित स्थानों की तलाश में अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। राज्य के 23 जिलों को बाढ़ग्रस्त घोषित किया गया है। नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है, जिससे कई इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

खेतों में खड़ी फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। अनुमान है कि करीब 1.75 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। लगभग 2000 गांव प्रभावित हैं और करीब 3.90 लाख लोग किसी न किसी रूप में इस संकट का सामना कर रहे हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो यह बाढ़ 1988 के बाद राज्य की सबसे बड़ी आपदा मानी जा रही है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही प्रभावित इलाकों का दौरा कर चुके हैं और केंद्र सरकार की ओर से मदद का आश्वासन दे चुके हैं।

प्रधानमंत्री का कार्यक्रम

जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री सबसे पहले पंजाब के गुरदासपुर पहुंचेंगे। यहां वे स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य राहत टीमों के साथ बैठक कर बचाव कार्यों की जानकारी लेंगे। इसके साथ ही वे प्रभावित नागरिकों से मिलकर उनकी समस्याओं को भी समझेंगे।

प्रधानमंत्री का उद्देश्य है कि जिन इलाकों में हालात ज्यादा गंभीर हैं वहां तत्काल मदद पहुंचाई जाए और राहत कार्यों की निगरानी सीधे केंद्र स्तर से की जाए।

हिमाचल प्रदेश की स्थिति

पंजाब के बाद प्रधानमंत्री हिमाचल प्रदेश का भी दौरा करेंगे। वहां वे चंबा, मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिलों का हवाई सर्वेक्षण करेंगे। इन क्षेत्रों में भारी बारिश के चलते सड़कों, पुलों और घरों को काफी नुकसान हुआ है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने बताया कि प्रधानमंत्री को प्रदेश में हुई क्षति की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। साथ ही, केंद्र से अतिरिक्त राहत राशि की मांग भी की जाएगी।

राज्य सरकार का प्रयास है कि जितनी जल्दी हो सके, प्रभावित लोगों को पुनर्वास की सुविधा मिले और सामान्य जीवन बहाल किया जा सके।

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