
हरियाणा के हिसार जिले के एक सरकारी स्कूल में गुरुवार को गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर भयंकर रक्तपात हुआ। स्कूल के दो दसवीं कक्षा के छात्र—जिनकी उम्र लगभग 15–16 वर्ष बताई जा रही है—ने अपने प्रिंसिपल पर चाकू से हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया।
घटना की हुई सुनसान शुरुआत
गुरु पूर्णिमा की सुबह स्कूल में कार्यक्रम चल रहा था। उसी दौरान अचानक दो छात्रों ने पीछे से चुपके से चाकू निकलाया और प्रिंसिपल पर हमला कर दिया। वारदात के बाद दोनों आरोपी छात्र मौके से भाग निकले, लेकिन थोड़ी देर में पुलिस उनकी गिरफ्त में सफल रही।
प्राथमिक जानकारी और जांच
प्रिंसिपल की मौत मौके पर ही हो गई। स्कूल परिसर में उपस्थित अन्य छात्र और शिक्षक सदमे में हैं। पुलिस ने घटनास्थल से सीसीटीवी फुटेज, चाकू और अन्य सबूत जब्त कर लिए हैं। शुरुआती पूछताछ से यह पता चला है कि छात्रों और प्रिंसिपल के बीच किसी बात को लेकर मनमुटाव था, लेकिन सटीक वजह अभी स्पष्ट नहीं हो सकी है। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है और पीछे से वार करने के पहलुओं और छुपी वजहों का पता लगाने की कोशिश कर रही है।
समाज में उंठा सवाल
यह वारदात ऐसे समय में हुई जब गुरुओं और शिक्षकों को विशेष सम्मान मिलने की परंपरा होती है। इसलिए इस हत्या ने पूरी समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। सवाल उठते हैं—यह कैसे संभव हुआ कि स्कूल के शांत माहौल में दो छात्र इतने हिंसक कदम उठा सके? क्या सोशल मीडिया, मानसिक तनाव, या अनुशासनहीनता इसमें भूमिका निभा रहे थे?
आगे की दिशा
पुलिस ने दोनों छात्रों को हिरासत में लेकर उनसे सख्त पूछताछ शुरू कर दी है। स्थानीय प्रशासन ने स्कूल की सुरक्षा कड़ी करने के आदेश दिए हैं और स्कूल परिसरों में बाहरी थानों से पुलिस आउटपोस्ट तैनात कराए गए हैं। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए तुरंत गाइडलाइंस जारी करने की बात कही है।
यह वारदात हमें याद दिलाती है कि स्कूलों में केवल पढ़ाई ही नहीं, बच्चों की मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से सही दिशा में परवरिश भी ज़रूरी है। अनुशासन व भावनात्मक देखभाल ना हो तो यह दर्दनाक घटनाएं दुहराई जा सकती हैं।
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