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Up Kiran, Digital Desk:रात में बार-बार बिस्तर से उठकर पेशाब करने की समस्या एक आम परेशानी है, खासकर उम्र बढ़ने के साथ। अधिकांश पुरुष इसे सामान्य उम्र के बदलाव के रूप में देखते हैं, लेकिन यह प्रोस्टेट में बदलाव का संकेत भी हो सकता है, जिसे नज़रअंदाज़ करना खतरनाक हो सकता है।
डॉ. नितिन श्रीवास्तव, प्रमुख सलाहकार - मूत्र रोग विशेषज्ञ, मणिपाल अस्पताल गुरुग्राम के अनुसार, इस समस्या को समझना और समय पर उपचार करना बेहद ज़रूरी है। उनके अनुसार, पेशाब करने में दिक्कत अक्सर प्रोस्टेट से संबंधित समस्या का पहला लक्षण होती है।
प्रोस्टेट और मूत्र समस्याएं: क्या हैं संभावित कारण?
प्रोस्टेट एक छोटी ग्रंथि होती है, जो मूत्राशय के नीचे स्थित होती है और मूत्रमार्ग के आसपास होती है। यह ग्रंथि समय के साथ बढ़ सकती है, जिससे मूत्रमार्ग संकीर्ण हो जाता है और पेशाब करने में परेशानी होती है। इसे सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH) कहा जाता है, और यह आमतौर पर वृद्धावस्था में पाया जाता है। इसके अलावा, प्रोस्टेटाइटिस (प्रोस्टेट में सूजन) और प्रोस्टेट कैंसर भी मूत्र संबंधी समस्याओं का कारण बन सकते हैं।
पेशाब में समस्याएं और उनके लक्षण:
पेशाब शुरू करने में परेशानी या कमजोर मूत्र प्रवाह
बार-बार पेशाब करने के लिए रात में उठना
पेशाब करते समय दर्द या पैल्विक दर्द
मूत्र में रक्त या वीर्य में रक्त
पेशाब टपकने या जोर लगाकर पेशाब करने की स्थिति
प्रोस्टेट स्वास्थ्य के लिए कदम
रात में पेशाब करने की समस्या को नियंत्रण में लाने के लिए कुछ जीवनशैली में बदलाव किए जा सकते हैं:
तरल पदार्थ का सेवन कम करें: शाम के समय सोने से 2-3 घंटे पहले पानी, चाय या अन्य तरल पदार्थों का सेवन कम करें।
कैफीन और शराब से बचें: ये पदार्थ मूत्राशय को उत्तेजित कर सकते हैं।
दोहरा पेशाब करें: एक बार पेशाब करने के बाद कुछ देर इंतजार करें और फिर पुनः पेशाब करने का प्रयास करें।
नियमित व्यायाम: शारीरिक गतिविधि से मूत्र प्रणाली की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है।
यदि इन उपायों से आराम नहीं मिलता, तो डॉक्टर द्वारा दवाइयाँ दी जा सकती हैं जो मूत्राशय और प्रोस्टेट की मांसपेशियों को आराम देती हैं और मूत्र प्रवाह में सुधार करती हैं।
सर्जिकल उपाय: जब दवाइयाँ न करें असर
यदि जीवनशैली में बदलाव और दवाइयाँ प्रभावी नहीं होतीं, तो डॉक्टर न्यूनतम इनवेसिव सर्जिकल उपाय सुझा सकते हैं। ये सर्जरी क्लिनिक में की जाती हैं और मूत्र प्रवाह में रुकावट को कम करने के लिए प्रभावी होती हैं। गंभीर मामलों में, टीयूआरपी (प्रोस्टेट का हिस्सा निकालना) या लेज़र प्रोस्टेटेक्टॉमी जैसी सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
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