Up Kiran, Digital Desk: हमारे देश में सदियों से एक बात मशहूर है कि स्त्री घर की लक्ष्मी होती है। शादी के बाद जब नई दुल्हन पहली बार घर में कदम रखती है तो बड़े-बुजुर्ग कहते हैं, “लक्ष्मी घर आई है।” सब खुश होते हैं। मिठाई बंटती है। मगर कुछ घरों में हालात बिल्कुल उलट देखने को मिलते हैं। सास-ननंद ताने मारती हैं। बहू रोते-रोते दिन काटती है। फिर लोग शिकायत करते हैं कि घर में बरकत नहीं रही। पैसा नहीं टिकता। लड़ाई-झगड़े बढ़ गए।
वास्तु और ज्योतिष के बड़े-बड़े जानकार एक स्वर में कहते हैं – गलती वास्तु दोष की नहीं, घर वालों के व्यवहार की है। हर औरत अपने आप में शुभ होती है। बस जरूरत है उसे प्यार और सम्मान देने की।
वास्तु शास्त्र बताता है कि औरत के शरीर में अग्नि तत्व सबसे ज्यादा सक्रिय रहता है। यही अग्नि तत्व घर में जोश, तरक्की और पैसा लाता है। अगर घर में औरत दुखी रहेगी तो अग्निकोण अपने आप कमजोर पड़ जाता है। फिर चाहे आप कितने ही लाल बल्ब लगवा लो या गैस स्टोव दक्षिण-पूर्व में रख लो, कोई फायदा नहीं होगा। उल्टा औरत की मुस्कान और संतोष ही असली अग्निकोण सुधारक है।
शास्त्रों में साफ लिखा है – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता
मतलब जहां औरत की पूजा होती है, वहां देवता खुद रहने आ जाते हैं। यानी ईशान कोण अपने आप एक्टिव हो जाता है। पूजा-पाठ कराने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
अब बेटियों की बात करें तो स्थिति और भी गंभीर है। हमारे यहां कन्या को देवी का रूप कहा जाता है। उसके जन्म पर खुशी मनाओ तो लक्ष्मी दौड़ी चली आती है। अगर रोने-धोने लगे या बोझ समझने लगे तो उत्तर दिशा ब्लॉक हो जाती है। उत्तर दिशा यानी कुबेर की दिशा। यानी धन की दिशा। फिर चाहे कितने भी लॉककर खरीद लो, पैसा टिकेगा नहीं।
ज्योतिष कहते हैं कि लड़कियों को खुश रखो। उन्हें अच्छी पढ़ाई-लिखाई दो। शादी में दबाव मत डालो। उनकी पसंद का सम्मान करो। बस इतना करने से घर में धन और सेहत अपने आप बढ़ने लगती है।
अंत में यही बात सिद्ध होती है कि घर का असली वास्तु सुधारक कोई पंडित या वास्तु एक्सपर्ट नहीं, घर की औरतें हैं। उन्हें प्यार दो। सम्मान दो। देखते ही देखते घर खुशहाली से भर जाएगा। बिना एक रुपया खर्च किए वास्तु दोष अपने आप दूर हो जाएंगे।
कुल मिलाकर आप अपने घर खान दान, मां, बेटी-बहू और बहन को खुश रखिए। तरक्की आपके कदम चूमेगी।
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