img

Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली मेट्रो के मजेंटा लाइन पर बुधवार सुबह ऑफिस समय के दौरान एक बड़ी तकनीकी खराबी आ गई, जिससे हजारों यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस खराबी के चलते ट्रेनों में 15-30 मिनट की देरी देखने को मिली। यात्रियों को स्टेशनों पर लंबी कतारें और ट्रेनों में भीड़ का सामना करना पड़ा।

ट्रेनों की देरी और लंबी रुकावटें

मेट्रो अधिकारियों द्वारा की गई घोषणा में कहा गया कि तकनीकी खराबी को जल्द ठीक करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में समय लगेगा। यात्रियों को दिए गए संदेश में कहा गया, "मैजेंटा लाइन में तकनीकी खराबी आ गई है, इसे ठीक करने में समय लगेगा। इस असुविधा के लिए हम क्षमा चाहते हैं।"

हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि समस्या कितनी गंभीर थी, लेकिन कई यात्री इस देरी से काफी परेशान थे। स्टेशनों पर अधिक समय तक रुकना और लगातार देरी का सामना करने के बाद यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। एक यूजर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, "दिल्ली मेट्रो मैजेंटा लाइन पर जामिया मिलिया इस्लामिया में 15 मिनट से अधिक समय से फंसी हुई हूं, दिल्ली मेट्रो हमेशा ऑफिस समय पर ही क्यों बंद होती है?"

कुछ स्टेशनों पर ट्रेनों का रुकना सामान्य एक मिनट से बढ़कर 2-5 मिनट तक हो गया, जिससे यात्रियों को लंबा इंतजार करना पड़ा। एक अन्य यात्री ने बताया कि दो से तीन स्टेशनों के बीच यात्रा करने में 30 मिनट तक लग रहे हैं, जो बहुत ही असुविधाजनक था।

मैजेंटा लाइन के बारे में

दिल्ली मेट्रो की मैजेंटा लाइन नोएडा के बॉटनिकल गार्डन से नई दिल्ली के जनकपुरी पश्चिम तक जाती है। यह लाइन कुल 40.26 किलोमीटर लंबी है, जिसमें 26 मेट्रो स्टेशन हैं, जिनमें से 10 स्टेशन एलिवेटेड और बाकी भूमिगत हैं। पश्चिमी और दक्षिणी दिल्ली से होकर गुजरने वाली इस लाइन की ट्रेनों की आवाजाही में देरी के कारण यात्रियों को भारी असुविधा हो रही है।

यात्रियों के अनुभव

इस तकनीकी खराबी के कारण कुछ यात्री 15-20 मिनट की लंबी देरी का सामना कर रहे थे, वहीं कुछ यात्रियों ने दावा किया कि उन्होंने सिर्फ दो स्टेशनों के बीच जाने के लिए आधे घंटे का समय लिया। ऐसा लगा मानो मेट्रो की ट्रेनों की गति भी धीमी हो गई हो।

दिल्ली मेट्रो में रोज़ाना लाखों यात्री यात्रा करते हैं और ऐसे में इस तरह की घटनाएँ यात्रियों के लिए चिंता का विषय बन जाती हैं। इस घटना ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या मेट्रो प्रशासन को इस दिशा में तकनीकी सुधार की आवश्यकता है, ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।