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अशोका यूनिवर्सिटी से जुड़े प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को प्रोफेसर अली खान को अंतरिम जमानत देने का आदेश जारी किया। यह फैसला तब आया है जब उनके खिलाफ दर्ज एक मामले को लेकर काफी विवाद और चर्चा हो रही थी।

प्रोफेसर अली खान के खिलाफ कथित रूप से देशविरोधी विचारों से संबंधित एक भाषण के मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में उनके खिलाफ कई धाराओं के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसके बाद उन्हें कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ा। हालांकि, अली खान का कहना है कि उनका वक्तव्य संविधान और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में था और उसे गलत तरीके से पेश किया गया।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि फिलहाल उनके खिलाफ कोई सीधा और गंभीर खतरा नहीं दिखता, इसलिए उन्हें अंतरिम राहत दी जा सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच एजेंसियां अपनी प्रक्रिया जारी रख सकती हैं, लेकिन प्रोफेसर को तब तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा जब तक अगली सुनवाई नहीं होती।

अली खान देश के प्रमुख शिक्षाविदों में से एक माने जाते हैं और अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान और इतिहास के प्रोफेसर के तौर पर वर्षों से कार्यरत हैं। उनके समर्थन में देश-विदेश से कई शिक्षाविदों और छात्रों ने आवाज उठाई थी, और यह जमानत उन सभी के लिए राहत की खबर मानी जा रही है।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब अगली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि मामला किस दिशा में आगे बढ़ेगा।
 

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