_1529422882.png)
Up Kiran, Digital News: विराट कोहली और रोहित शर्मा भारतीय क्रिकेट के वो दो चेहरे जिन पर एक पूरी पीढ़ी ने भरोसा करना सीखा। जिनके बल्ले से निकली हर पारी हर कप्तानी का फैसला करोड़ों फैंस की धड़कनों से जुड़ा रहा। मगर जब टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने का वक्त आया तो न कोई विदाई मैच न कोई अंतिम भाषण न कोई गार्ड ऑफ ऑनर — सिर्फ एक अचानक खबर और फिर सन्नाटा।
कोहली और रोहित के संन्यास पर उठ रहे हैं सवाल
एक तरफ विराट कोहली जिसने टेस्ट क्रिकेट को भारत में फिर से जीवित किया। विदेशी दौरों में आक्रामक कप्तानी फिटनेस क्रांति और एक के बाद एक यादगार पारियां। दूसरी ओर रोहित शर्मा जिनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने घर में ऑस्ट्रेलिया को धूल चटाई और जिनका ठोस टॉप ऑर्डर पर होना टीम को संतुलन देता रहा।
इन दोनों के संन्यास के तरीके में फर्क था मगर नतीजा एक — न मैदान पर विदाई न दर्शकों की तालियां न टीम का अंतिम सलाम।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीसीसीआई ने रोहित शर्मा को यह स्पष्ट कर दिया था कि अब वह टेस्ट प्लान का हिस्सा नहीं हैं। कारण शायद हालिया फॉर्म हो सकता है। मगर क्या किसी कप्तान जिसने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में टीम हित में खुद को बाहर कर दिया उसे यह कहकर बाहर करना उचित था।
क्या ऐसा नहीं हो सकता था कि उन्हें यह बताया जाता कि अगला मैच उनका अंतिम टेस्ट होगा और देश उन्हें सम्मान के साथ अलविदा कह सके।
कोहली का मामला और पेचीदा है। उन्होंने खुद टेस्ट से संन्यास लेने का निर्णय लिया मगर ये फैसला अचानक आया। कोच से लेकर चयनकर्ताओं तक सब हैरान थे। एक तरफ कहा जा रहा है कि कोहली इंग्लैंड दौरे की तैयारी कर रहे थे वहीं दूसरी ओर संन्यास का फैसला सामने आता है।
रणजी ट्रॉफी में खेलने वाला खिलाड़ी अचानक खेल से अलविदा क्यों कहेगा जब वो सीरीज से पहले नेट्स में पसीना बहा रहा था। क्या यह किसी अंदरूनी मतभेद का नतीजा था। या फिर टीम मैनेजमेंट से संवाद की कमी।
अश्विन जैसे गेंदबाज जिन्होंने भारत को दर्जनों बार जीत दिलाई उन्हें भी टेस्ट क्रिकेट में एक भव्य विदाई नहीं मिली। यह एक ट्रेंड बनता जा रहा है — भारत के दिग्गज खिलाड़ियों को उनके योगदान के अनुरूप सम्मान नहीं देना।
--Advertisement--