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पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत से एक बार फिर बड़ी खबर आई है। क्वेटा के मार्गेट इलाके में हुए भीषण विस्फोट में 10 सैनिक मारे गए। विशेषज्ञों के अनुसार, विदेशी सेना की एक गाड़ी को इलेक्ट्रिक कंट्रोल्ड इम्प्रोव वैलिडिटी एक्सप्लोसिव ट्रायल (IED) से तैयार किया गया है।

बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है और एक अनोखा वीडियो भी जारी किया है, जिसमें हमलों के बाद का खतरनाक मंजर साफ देखा जा सकता है।

सेना के वाहन पूरी तरह से टिकाऊ
यह विस्फोट बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा के बाहरी इलाके में हुआ, जहां लंबे समय से विद्रोही हथियार सक्रिय हैं।

बीएलए के प्रवक्ता जीयंद बलूच ने शुक्रवार देर रात बयान जारी कर कहा कि जिस सेना के वाहनों का निर्माण किया गया था, उनमें हमले के दौरान उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया।

इस हमले में 10 सैनिक मारे गए की पुष्टि भी की गई है।

चार सदस्यीय सेना की ओर से इस हमले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है, लेकिन क्षेत्र में सुरक्षा कड़ी की गई है।

बलूचिस्तान: हमेशा से विद्रोहियों का गढ़
कोटा और आसपास के इलाके बलूच विद्रोहियों के मजबूत गढ़ बने हुए हैं।

इससे पहले पिछले महीने भी कोटा से ताफ्तान जा रहे सेना के काफिले पर हमला हुआ था, जिसमें 7 सैनिक मारे गए थे और 21 घायल हो गए थे।

उस हमले की जिम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी ने भी ली थी और दावा किया था कि उसके 90 सैनिक मारे गए।

लगातार हो रहे इन दावों ने एक बार फिर बलूचिस्तान में विदेशी सेना की मजबूत पकड़ को शामिल कर लिया है।

बलूच विद्रोही कौन हैं?
बलूच विद्रोही पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में कई सशस्त्र नशामुक्ति के प्रतिनिधि सक्रिय हैं।

यह समूह बलूचिस्तान की स्वावलंबन या फिर पाकिस्तान से पूर्ण स्वतंत्रता की मांग कर रहा है।

बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) सबसे प्रमुख संगठन है, जो 2000 के दशक से संघर्ष के खिलाफ सक्रिय सेना है।

इनके अलावा बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) जैसे संगठन भी सक्रिय हैं।

विद्रोहियों का दावा है कि बलूचिस्तान के गैस, खनिज और प्राकृतिक संसाधनों से युक्त होने वाला दावा पाकिस्तान के अन्य सिद्धांतों के विकास में खर्च किया जाता है, जबकि स्थानीय बल लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है।

बलूचिस्तान का स्वतंत्रता आंदोलन: एक व्यापक संघर्ष
बलूचिस्तान का स्वतंत्रता आंदोलन नया नहीं है।

1948 में पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद से अब तक पाँच बड़े सशस्त्र विद्रोह हुए - 1948, 1958-59, 1962-63, 1973-77 और 2003 से लगातार जारी संघर्ष।

हाल के वर्षों में बलूच विद्रोहियों ने जाफ़र एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक जैसी बड़ी घटनाओं को भी अंजाम दिया है, जिसमें रेलवे उड़ानें और यात्रियों को बंधक बनाना शामिल था।

बलूच विद्रोहियों के हमले अब और भी आक्रामक होते जा रहे हैं, जिससे पाकिस्तान सरकार के लिए बलूचिस्तान की स्थिति को नियंत्रित करना दिन-ब-दिन मुश्किल हो रहा है।

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