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Up Kiran, Digital Desk: भारत में महंगाई का स्तर इस वक्त कई सालों में सबसे कम हो चुका है, जो उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है। सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) महंगाई 1.5 फीसदी पर पहुंच गई, जो 2017 के बाद का सबसे न्यूनतम स्तर है। खासतौर पर खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार कमी आई है। सब्जियों के दाम कम होने और अनाज के भरपूर उत्पादन से घरेलू बजट पर सकारात्मक असर पड़ा है।
अक्टूबर में महंगाई 1 फीसदी से भी नीचे आ सकती है
विशेषज्ञों का मानना है कि अक्टूबर में महंगाई और भी गिरकर 1 फीसदी से नीचे जा सकती है। इस महीने की शुरुआत में सब्जियों के दामों में 3 से 5 फीसदी की कमी देखने को मिली है। तेल की कम कीमतें और चीन से सस्ते उत्पादों के आयात भी महंगाई को नियंत्रण में रखने में सहायक होंगे। हालांकि, सोने की कीमतों में तेज बढ़ोतरी ने महंगाई को थोड़ा ऊंचा बनाए रखा है, लेकिन इसके बावजूद समग्र स्थिति बेहतर नजर आ रही है।
रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी में संभावित बदलाव
महंगाई के कम होने से भारतीय रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति में ढील देने का मौका मिला है। दिसंबर में होने वाली आरबीआई की बैठक में रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है, जिससे ब्याज दर 5.25 फीसदी रह सकती है। यह कदम आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण होगा। दरों में कमी से कर्ज लेना सस्ता होगा और निवेशकों के लिए माहौल बेहतर होगा।
सरकार भी कर सकती है आर्थिक सुधारों के साथ राहत पैकेज का एलान
HSBC की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए नए सुधारों के साथ-साथ निर्यातकों के लिए राहत पैकेज भी घोषित कर सकती है। यह कदम व्यापार जगत में सकारात्मक बदलाव लाएगा और रोजगार सृजन में मदद करेगा। इससे आर्थिक तंत्र में नई ऊर्जा आएगी और आर्थिक विकास की गति तेज होगी।
महंगाई में गिरावट के पीछे कारण
महंगाई में आई कमी के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण सब्जियों की कीमतों में आई गिरावट है, जो भारी बारिश के बाद फिर से सामान्य स्तर पर आ गई है। इसके अलावा, पर्याप्त अनाज भंडारण और बेहतर फसल उत्पादन ने खाद्य पदार्थों के दामों को स्थिर किया है। हालांकि, सोने की कीमतों में तेजी ने महंगाई पर थोड़ा दबाव बनाए रखा है।