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Up kiran,Digital Desk : यह किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि एक खतरनाक हकीकत है जो उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में सामने आई है। यहां जालसाजों के एक पूरे नेटवर्क ने न सिर्फ सरकारी सिस्टम को खोखला किया, बल्कि देश की सुरक्षा में एक ऐसी सेंध लगा दी है, जिसके खुलासे ने जांच एजेंसियों के भी होश उड़ा दिए हैं। इन धोखेबाजों ने बांग्लादेशी, रोहिंग्या और पाकिस्तानी घुसपैठियों को भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए कागजों पर ही 400 से ज्यादा परिवार बसा दिए।

एक-एक परिवार में 15 से 25 बच्चे! जब जांच हुई तो गांव में कोई मिला ही नहीं

इस फर्जीवाड़े का तरीका इतना शातिराना था कि कोई आसानी से यकीन न कर पाए। जालसाजों ने जिले के सलोन ब्लॉक के नुरुद्दीनपुर, लहुरेपुर और गढ़ी इस्लामनगर जैसे गांवों को अपना अड्डा बनाया। यहां उन्होंने कागजों पर ऐसे परिवार दिखाए जो असल में कभी रहते ही नहीं थे।

हैरानी की बात तो यह है कि इन फर्जी परिवारों में बच्चों की संख्या देखकर कोई भी चौंक जाए। किसी परिवार में 25 बच्चे दिखाए गए, तो किसी में 15 से 11 बच्चों के नाम पर फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी कर दिए गए।

  • नुरुद्दीनपुर गांव का आरिफ मलिक इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। कागजों पर उसके 15 बच्चे दिखाए गए, लेकिन जब जांच टीम गांव पहुंची तो वहां आरिफ नाम का कोई शख्स मिला ही नहीं।
  • इसी तरह अजमत अली के नाम पर 13 और इमरान खान के नाम पर 9 बच्चों के सर्टिफिकेट बना दिए गए।

जब इन नामों की गहराई से पड़ताल की गई, तो जो सच सामने आया, वह और भी डरावना था। इनमें से चार लोग बांग्लादेशी और दो रोहिंग्या निकले।

जब NIA ने खंगाली फाइलें, तो उड़े होश

यह पूरा मामला तब खुला जब इसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एंट्री हुई। एनआईए के हस्तक्षेप के बाद जब फाइलों को खंगाला गया और जमीनी स्तर पर जांच शुरू हुई, तो इस पूरे 'कागजी गांव' के फर्जीवाड़े की एक-एक परत उधड़ने लगी। जांच में पता चला कि ये प्रमाणपत्र सिर्फ गलती से नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश के तहत बनाए गए थे ताकि बाहरी घुसपैठियों को आसानी से भारत की नागरिकता दिलाई जा सके।

अब एक्शन में आया प्रशासन

इस बड़े खुलासे के बाद जिला प्रशासन भी हरकत में आ गया है। बुधवार को ही 250 से ज्यादा फर्जी प्रमाणपत्रों को निरस्त कर दिया गया है।

रायबरेली के जिला पंचायतराज अधिकारी सौम्यशील सिंह ने बताया कि फर्जी प्रमाणपत्रों को रद्द करने का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन बार-बार सर्वर डाउन होने की वजह से इसमें थोड़ी दिक्कत आ रही है। उन्होंने बताया कि अब तक कुल 1046 फर्जी प्रमाणपत्र निरस्त किए जा चुके हैं। एक बार वोटर लिस्ट की जांच (SIR) का काम पूरा हो जाए, तो कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर इस काम में और भी तेजी लाई जाएगी।