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Up Kiran, Digital Desk: भारत ने स्मार्टफोन उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है, जिससे देश की आर्थिक और तकनीकी छवि में सुधार की उम्मीदें बढ़ गई हैं। कैनालिस की ताजा रिपोर्ट बताती है कि पहली बार भारत ने चीन को पछाड़कर अमेरिका को स्मार्टफोन का सबसे बड़ा निर्यातक बनने का स्थान हासिल किया है। यह बदलाव खासकर एप्पल जैसी वैश्विक कंपनियों के उत्पादन रणनीति में आए बदलाव का नतीजा है, जिसने अपने निर्माण के केंद्र को चीन से बाहर करने की योजना पर जोर दिया है।
एप्पल के हालिया कदम ने भारत को मोबाइल निर्माण के वैश्विक नक्शे पर मजबूती से स्थापित कर दिया है। इस साल, भारत से अमेरिका के लिए निर्मित iPhones की मात्रा काफी बढ़ी है। इतना ही नहीं, इस वर्ष की शुरुआत में एप्पल ने भारत से सीधे अमेरिका भेजने के लिए विशेष विमान किराए पर भी लिए, जो देश की विनिर्माण क्षमता और निर्यात को दर्शाता है। यह मेक इन इंडिया की पहल को नए आयाम दे रहा है, जिससे भारत अब तकनीकी दिग्गजों के लिए एक भरोसेमंद और पसंदीदा विकल्प बनता जा रहा है।
हालांकि, भारत में iPhone 16 Pro मॉडल का असेंबलिंग अभी शुरूआती दौर में है और बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए चीन पर आंशिक निर्भरता बनी हुई है। फिर भी, एप्पल का यह साहसिक कदम स्थानीय उद्योग को प्रोत्साहित कर रहा है। इसी क्रम में सैमसंग और मोटोरोला जैसी कंपनियां भी अमेरिका में अपने उत्पादन का कुछ हिस्सा भारत में स्थानांतरित करने की तैयारी में हैं, जो आने वाले समय में देश के लिए अच्छे संकेत हैं।
वहीं, व्यापारिक नीतियों की अनिश्चितता ने इस बदलाव की प्रक्रिया को और तेज कर दिया है। अप्रैल 2025 में अमेरिका द्वारा भारत से आयातित सामानों पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले ने कंपनियों को चीन से बाहर उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। हालांकि यह टैरिफ बाद में अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया, लेकिन इससे बाजार में रणनीतिक बदलावों की आवश्यकता और भी स्पष्ट हो गई।
जहां एक ओर भारत के स्मार्टफोन निर्यात में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ चुनौतियां भी सामने हैं। इस साल की दूसरी तिमाही में अमेरिका को iPhone की शिपमेंट में 11 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जो उपभोक्ता मांग में कमी के कारण हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियां नीतिगत बदलावों से पहले अपने स्टॉक को संतुलित कर रही हैं।
विश्लेषकों के अनुसार, भारत की स्मार्टफोन निर्माण और निर्यात की कहानी अभी शुरुआत ही है। सफल होने के लिए न केवल बड़े खिलाड़ी बल्कि छोटे और मध्यम उद्योगों को भी बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी। इसके साथ ही, घरेलू निवेश को बढ़ावा देना और बेहतर रणनीतियां अपनाना आवश्यक होगा ताकि भारत इस क्षेत्र में अपनी सफलता को स्थायी बना सके।
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