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Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHOs) अपने वेतन को लेकर काफी नाराज़ और चिंतित हैं, क्योंकि उन्हें मिलने वाले वेतन में बहुत ज़्यादा असमानता है। ये सीएचओ, जो ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ हैं और सीधे लोगों से जुड़े रहते हैं, महसूस करते हैं कि उन्हें वह सम्मान और उचित मेहनताना नहीं मिल रहा जिसकी वे हकदार हैं। खासकर, जब वे अपनी तुलना दूसरे राज्यों के ऐसे ही स्वास्थ्यकर्मियों या स्वास्थ्य क्षेत्र में ही अन्य पदों पर बैठे लोगों से करते हैं।

उनकी सबसे बड़ी शिकायत यह है कि वे वही काम कर रहे हैं जो दूसरे राज्यों या दूसरे विभागों में हो रहा है, लेकिन उनके वेतन और सुविधाओं में बहुत बड़ा फर्क है।

 इस कारण उनका मनोबल गिर रहा है और इसका असर उनके काम पर भी पड़ सकता है, जिससे आखिर में मरीजों को ही परेशानी होगी।

सीएचओ ने राज्य सरकार से गुहार लगाई है कि वह इस वेतन असमानता को तुरंत ठीक करे। उनका कहना है कि अगर सरकार उन्हें उचित मेहनताना देगी, तो वे और भी लगन से काम कर पाएंगे और स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर हो सकेंगी। 

इस मुद्दे को हल करना न केवल सीएचओ के लिए न्याय सुनिश्चित करेगा, बल्कि राज्य की प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली को भी मजबूत करेगा।

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