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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश में भारी बारिश के बाद आई बाढ़ सिर्फ पानी का संकट नहीं, बल्कि लाखों लोगों के लिए रोज़मर्रा की जिंदगी का संकट बन गई है। गंगा, यमुना और वरुणा जैसी प्रमुख नदियाँ इस समय अपने रौद्र रूप में हैं और राज्य के कई ज़िलों में इनका जलस्तर खतरे की रेखा को पार कर चुका है। प्रशासन की ओर से राहत और बचाव अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि आम लोग अब भी असहाय हैं।
वाराणसी: गंगा का उफान ले डूबा धार्मिक घाटों की पहचान
तीर्थनगरी वाराणसी, जहां गंगा हमेशा आस्था का प्रतीक रही है, अब उसी गंगा के बाढ़ से जूझ रही है। नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुँच चुका है, जिससे शहर के सभी 84 घाट पूरी तरह डूब चुके हैं। नमो घाट से लेकर अस्सी घाट तक, पानी ने सड़कें और मंदिर परिसर तक को नहीं छोड़ा। गंगा द्वार पर स्थित मूर्तियाँ तक जल में समा गई हैं। जगन्नाथ मंदिर के पास तक पानी पहुँच जाने से पुलिस को बैरिकेड्स लगाकर स्थिति नियंत्रित करनी पड़ी।
अब तक वाराणसी में बाढ़ के चलते 6,500 से अधिक लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है। इनमें अधिकांश शहरी क्षेत्रों से हैं, जो पानी में डूबे मकानों और जाम हुई गलियों से निकलकर राहत शिविरों में पहुँचे हैं। प्रशासन ने जिले में 20 अस्थायी शिविरों की व्यवस्था की है, लेकिन मूलभूत सुविधाएँ अभी भी अधूरी हैं।
वरुणा नदी का अचानक उफान बना नई मुसीबत
सिर्फ गंगा ही नहीं, वरुणा नदी ने भी अपना रूप बदल लिया है। एक ही दिन में जलस्तर में 12 फीट की तेजी से वृद्धि ने निचले इलाकों में हाहाकार मचा दिया है। खेत, सड़कें और घर – सब जलमग्न हैं। किसानों की खड़ी फसलें पानी में डूब चुकी हैं और ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं से कट गए हैं।
राज्य भर में फैलता संकट: हर दूसरा इलाका बाढ़ की चपेट में
उत्तर प्रदेश के 17 ज़िलों में बाढ़ ने कहर बरपाया है। वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर नगर, बलिया, गाजीपुर, मिर्जापुर और आगरा जैसे शहरों समेत 37 तहसीलों के 400 से ज्यादा गाँव पानी में घिरे हुए हैं। राहत आयुक्त कार्यालय के अनुसार, अब तक 84,000 से अधिक लोग इस संकट से प्रभावित हो चुके हैं और हजारों विस्थापितों को अस्थायी सहायता शिविरों में भेजा गया है।
लगभग 4,000 हेक्टेयर कृषि भूमि पानी में डूब चुकी है, और हजारों पशुधन को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया है। ज़ाहिर है कि आने वाले दिनों में खाद्य सुरक्षा और रोज़गार का बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
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