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Up Kiran, Digital Desk: उत्तरकाशी जिले के धराली और हर्षिल गांवों में आई आपदा ने मानों पूरी जिंदगी ही थाम दी हो। सड़कों का टूटना, राशन और गैस सिलेंडरों की आपूर्ति का रुक जाना यह सब लोगों की मुश्किलों को और बढ़ा रहा है। लेकिन इन विपरीत परिस्थितियों के बीच, इन गांवों के लोग कंधों पर बोझ लादकर, आंसुओं को अपने दिलों में समेटे हुए, रोज़मर्रा की चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
सड़क संपर्क टूटने के बाद आई मुश्किलें
पिछले कुछ दिनों में उत्तरकाशी में आई भीषण आपदा ने धराली और हर्षिल गांवों को सड़क मार्ग से पूरी तरह से काट दिया। मिट्टी और पत्थरों की चादर ने रास्तों को ढक लिया, और अब इन गांवों में जीवन मानो थम सा गया है। सड़कों की मरम्मत में देर हो रही है और इस बीच इन गांवों के लोग कंधों पर भारी बोरी और सिलेंडर लादकर अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए मजबूर हैं।
राशन और गैस सिलेंडर की कमी
सड़कों के बंद होने से राशन और गैस सिलेंडर की आपूर्ति ठप हो गई है। गांवों में पिछले कई दिनों से नमक, तेल, मसाले और चीनी जैसी बुनियादी चीजों की कमी हो रही है। बाजार बंद हैं और सरकारी दुकानों पर राशन की आपूर्ति बेहद कम हो गई है। कई परिवार तो अब केवल राहत सामग्री पर निर्भर हैं, लेकिन लगातार आपूर्ति में रुकावट और बर्फीले रास्तों की वजह से यह मदद भी सीमित हो गई है।
आशा और उम्मीद की किरण
आपदा के बावजूद, धराली और हर्षिल के लोग हार मानने को तैयार नहीं हैं। इनकी मेहनत, साहस और उम्मीद की कहानी हर किसी के दिल को छू जाती है। लोग कंधों पर बोरी और सिलेंडर लादकर, खुद को इस मुसीबत से उबारने की कोशिश कर रहे हैं। यह तस्वीर न केवल हिम्मत और संघर्ष की प्रतीक है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे लोग विपरीत परिस्थितियों में भी एकजुट होकर अपने अस्तित्व की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं।
नज़दीकी गांवों पर भी असर
धराली और हर्षिल के अलावा, आसपास के गांव जैसे झाला, जसपुर, पुराली, बगोरी और मुखवा भी आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इन क्षेत्रों के लोग भी सड़क संपर्क टूटने से बुरी तरह से प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में लगभग 12,000 लोग पिछले दस दिनों से बाहरी दुनिया से कट गए हैं। अगर जल्द सड़क संपर्क बहाल नहीं हुआ, तो ये लोग और भी मुश्किलों का सामना करेंगे।
राशन संकट की गंभीरता
सांत्वना के रूप में, स्थानीय सरकारी गोदामों में कुछ राशन मौजूद है, लेकिन यह भी खत्म हो सकता है। झाला के सरकारी गोदाम में महज 150 क्विंटल चावल और गेहूं बचा है, जो केवल राहत शिविरों और बचाव टीमों के लिए ही पर्याप्त होगा। यदि सड़कों का संपर्क जल्द बहाल नहीं हुआ, तो राशन की भारी कमी हो सकती है, और यह संकट और भी गंभीर हो सकता है।
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