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Up kiran,Digital Desk : पिछले कुछ दिनों से अगर आप एयरपोर्ट गए हैं या ख़बरें देखी हैं, तो एक नाम बार-बार सुन रहे होंगे - इंडिगो (IndiGo)! देश की सबसे बड़ी और भरोसेमंद समझी जाने वाली यह एयरलाइन अचानक लड़खड़ा गई। हज़ारों लोग परेशान हुए, सैकड़ों फ्लाइट्स कैंसिल हुईं और एयरपोर्ट पर हंगामा मचा रहा।

सबके मन में एक ही सवाल है - आखिर ऐसा हुआ क्या? और क्यों सिर्फ इंडिगो के साथ ही ऐसा हो रहा है? चलिए, इस पूरे 'खेल' को आसान भाषा में समझते हैं।

कहानी का 'विलेन' - FDTL का नया नियम

इस पूरी कहानी का 'विलेन' या यूं कहें कि 'हीरो' है एक नया नियम, जिसका नाम है FDTL (Flight Duty Time Limitations)।
यह नियम पायलट्स और क्रू मेंबर्स की सेफ्टी के लिए बनाया गया है, जिसे DGCA (भारत की एविएशन रेगुलेटर) ने लागू किया है।

  • पुराना नियम क्या था? पायलट्स को हफ्ते में 36 घंटे का आराम मिलता था और वो रात में 6 लैंडिंग कर सकते थे।
  • नया नियम क्या है? अब पायलट्स को 48 घंटे का आराम देना ज़रूरी है और रात में सिर्फ 2 लैंडिंग ही कर सकते हैं।

यह नियम क्यों ज़रूरी था?

क्योंकि थका हुआ पायलट आपकी और सैकड़ों यात्रियों की जान के लिए सबसे बड़ा खतरा होता है। हवाई जहाज़ उड़ाना कोई कार चलाने जैसा काम नहीं, इसमें 100% फोकस की ज़रूरत होती है। इसी थकान (Fatigue) को कम करने के लिए यह नया और सख्त नियम लाया गया।

तो फिर सिर्फ इंडिगो ही क्यों हुई परेशान?

यह नियम तो सभी एयरलाइन्स पर लागू हुआ, लेकिन सबसे बुरा हाल इंडिगो का हुआ। क्यों? इसके पीछे इंडिगो का अपना बिज़नेस मॉडल ही ज़िम्मेदार है:

  1. ज़्यादा से ज़्यादा उड़ानें: इंडिगो का पूरा मॉडल 'कम खर्च, ज़्यादा उड़ान' पर टिका है। वो अपने एक जहाज़ और एक ही क्रू से दिन में कई-कई बार फ्लाइट्स करवाती है। खासकर देर रात और सुबह-सवेरे ('रेड आई' फ्लाइट्स) की उनकी संख्या बहुत ज़्यादा है। नए नियम ने इसी 'रेड आई' वाले मॉडल की कमर तोड़ दी।
  2. कम स्टाफ, ज़्यादा काम: इंडिगो हमेशा से बहुत ही 'लीन मॉडल' (कम से कम संसाधन और स्टाफ) पर काम करती आई है। मतलब, उनके पास बहुत ज़्यादा अतिरिक्त (extra) पायलट्स नहीं होते।
  3. एक गलती, और पूरा सिस्टम ठप: उनका नेटवर्क इतना जुड़ा हुआ है कि अगर एक भी फ्लाइट लेट होती है तो उसका असर आगे की 5-6 फ्लाइट्स पर पड़ता है और पूरा शेड्यूल बिखर जाता है।

दूसरी एयरलाइन्स कैसे बच गईं?

दूसरी एयरलाइन्स (जैसे Air India) के कई जहाज़ पहले ही मरम्मत या दूसरे कारणों से ज़मीन पर खड़े हैं। इसलिए, उनके पास जहाज़ों के मुकाबले में पायलट्स ज़्यादा उपलब्ध हैं। उन्होंने आसानी से अपना रोस्टर बदल लिया।

अब पायलटों ने खोली 'पोल'!

  • "एयरलाइन को दो साल का वक्त मिला था तैयारी करने के लिए, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया।"
  • "वे हमेशा से कम स्टाफ रखने की नीति पर चलते हैं, और अब जब नियम सख्त हुए तो पूरा सिस्टम फेल हो गया।"
  • यहां तक कि उनका आरोप है कि इंडिगो ने नए नियमों से बचने के लिए पहले पायलटों की भर्ती रोक दी, उनकी छुट्टियां कम कर दीं और बाद में उन्हीं छुट्टियों को वापस खरीदने की कोशिश की, जिससे स्टाफ का मनोबल और भी गिर गया।

माफ़ी और सुधार की कोशिश

हंगामे के बाद अब इंडिगो ने अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी है और कहा है कि वे अपने शेड्यूल में बदलाव कर रहे हैं। DGCA ने भी उनसे जवाब मांगा है और कहा है कि जल्द से जल्द हालात को सामान्य करें।

यह पूरा संकट सिर्फ एक एयरलाइन की कहानी नहीं, बल्कि यह एक सबक है कि सस्ती हवाई यात्रा की दौड़ में यात्रियों और क्रू की सेफ्टी से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता।