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WTC के फाइनल में भारतीय टीम एक बार फिर नाकाम रही और कप्तान रोहित शर्मा पर आलोचनाओं के तीर उड़ने लगे. 2021 में न्यूजीलैंड से हारने के बाद फैन्स उम्मीद कर रहे थे कि रोहित 2023 में होने वाले आईसीसी टूर्नामेंट्स में भारत का सूखा खत्म कर देंगे. मगर, डब्ल्यूटीसी फाइनल में रोहित का कोई फॉर्म नहीं है, गावस और भारत को ट्रॉफी नहीं मिली।

बीते वर्ष फरवरी में दक्षिण अफ्रीका के दौरे में 2-1 से हार के बाद विराट कोहली ने टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ दी और भार रोहित पर आ गया। इससे पहले विराट ने ट्वेंटी-20 विश्व कप से पहले ही कप्तानी से संन्यास की घोषणा कर दी थी और उन्हें वनडे टीम की कप्तानी से बर्खास्त कर दिया गया था। इस तरह रोहित को तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया की कप्तानी मिली।

रिपोर्ट्स के मुताबिक 36 साल के रोहित टेस्ट टीम के कप्तान नहीं बनना चाहते थे। बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह ने उन्हें जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए मजबूर किया।

कोहली के अचानक टेस्ट कप्तानी छोड़ने के बाद रोहित प्रबल दावेदार थे। मगर रोहित को भी इस बात पर संदेह था कि उनका शरीर जिम्मेदारी संभालने के लिए कितना तैयार है और इसलिए शुरू में टेस्ट कप्तानी के लिए तैयार नहीं था, सूत्रों ने कहा कि सौरव गांगुली और जय शाह ने रोहित शर्मा को इस जिम्मेदारी के लिए राजी किया। सूत्रों ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि लोकेश राहुल दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर एक नेता के रूप में अपनी छाप नहीं छोड़ सके।

 

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