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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय रुपये के लिए आने वाले कुछ हफ्ते स्थिरता भरे रह सकते हैं. जानकारों का मानना है कि नवंबर 2025 के अंत तक रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक सीमित दायरे में कारोबार करेगा. एक रिपोर्ट के अनुसार, महीने के आखिर तक रुपये के 88.5 से 89 रुपये प्रति डॉलर के बीच रहने की संभावना है.

बाजार के जानकारों का कहना है कि रुपये की चाल पर कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीयปัจจัยों का असर दिख रहा है. एक ओर जहां रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) रुपये को बहुत ज्यादा कमजोर नहीं होने देने के लिए बाजार में दखल दे रहा है, वहीं दूसरी ओर विदेशी निवेशकों की बिकवाली और कच्चे तेल की कीमतों जैसे मुद्दे रुपये पर दबाव भी बना रहे हैं.

क्यों एक दायरे में रहेगा रुपया?

बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि रुपया फिलहाल किसी एक दिशा में लंबी छलांग लगाने के मूड में नहीं है. इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं:

RBI का हस्तक्षेप: जब भी रुपया ज्यादा कमजोर होने लगता है, तो भारतीय रिजर्व बैंक बाजार में डॉलर बेचकर उसे संभालने की कोशिश करता है हाल के दिनों में RBI ने रुपये को 88.80 के रिकॉर्ड निचले स्तर से नीचे रखने के लिए कई बार हस्तक्षेप किया है.

वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिका और भारत के बीच व्यापार को लेकर चल रही बातचीत और अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता का माहौल है. इन वजहों से निवेशक सतर्क हैं, जिसका असर रुपये पर भी दिख रहा है.

घरेलू कारण: भारत में विदेशी निवेशकों ने इस साल भारतीय बाजारों से पैसा निकाला है, जिससे डॉलर की मांग बढ़ी और रुपये पर दबाव आया. इसके अलावा, सोने का बढ़ता आयात भी रुपये को कमजोर करने वाला एक बड़ा कारण रहा है.

आज, 12 नवंबर 2025 को, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 88.57 के स्तर पर कारोबार कर रहा है जानकारों का अनुमान है कि नवंबर महीने में रुपया 88.57 से 89.64 के बीच कारोबार कर सकता है. हालांकि, कुछ विश्लेषकों का यह भी मानना है कि अगर वैश्विक हालात बदलते हैं और विदेशी निवेश भारत में लौटता है तो रुपया थोड़ा मजबूत भी हो सकता है.

कुल मिलाकर, नवंबर का महीना रुपये के लिए एक सीमित दायरे का कारोबार लेकर आ सकता है, जिसमें RBI की भूमिका सबसे अहम रहेगी.