
Up Kiran, Digital Desk: पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और व्यापार पर अपनी बेबाक राय पेश करते हुए एक चौंकाने वाला दावा किया है। ट्रंप के अनुसार, भारत द्वारा तेल आयात पर लगाए गए टैरिफ (आयात शुल्क) ने रूस को अलास्का में राष्ट्रपति पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन से पहले बातचीत शुरू करने के लिए प्रेरित किया। ट्रंप ने यह बयान उस समय दिया जब वे राष्ट्रपति पुतिन के साथ अलास्का में होने वाले एक महत्वपूर्ण शिखर सम्मेलन की तैयारियों के बीच भारत की व्यापार नीतियों के प्रभाव पर टिप्पणी कर रहे थे।
ट्रंप का दावा: भारत के टैरिफ का रूस पर असर
डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि जब भारत ने अपने तेल आयात पर टैरिफ बढ़ाया, तो इसने रूसी संघ को अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ सीधे बातचीत करने के लिए एक कूटनीतिक कदम उठाने पर मजबूर किया। ट्रंप ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी अपनी व्यापार नीतियों ने वैश्विक मंच पर कैसे प्रभाव डाला, और कैसे उन्होंने अन्य देशों को अपने फैसले बदलने या अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया।
अलास्का शिखर सम्मेलन और द्विपक्षीय संबंध
यह बयान, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच अलास्का में होने वाली शिखर बैठक के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। ट्रंप प्रशासन ने हमेशा व्यापार संतुलन और अमेरिकी हितों की रक्षा पर जोर दिया था। उनके अनुसार, भारत की टैरिफ नीति ने अप्रत्यक्ष रूप से रूसी राष्ट्रपति को पुतिन के साथ कूटनीतिक जुड़ाव बनाने के लिए प्रेरित किया, जिसका उद्देश्य संभवतः अमेरिका के साथ अपने संबंधों में संतुलन बनाना या अमेरिकी टैरिफ का कोई जवाब ढूंढना था।
वैश्विक व्यापार और कूटनीति पर ट्रंप का दृष्टिकोण
यह बयान डोनाल्ड ट्रंप के उस व्यापक दृष्टिकोण को भी दर्शाता है जिसमें वे व्यापार को कूटनीति के एक शक्तिशाली हथियार के रूप में देखते थे। उनके लिए, टैरिफ और व्यापार प्रतिबंध केवल आर्थिक उपकरण नहीं थे, बल्कि वे वैश्विक मंच पर देशों के व्यवहार को प्रभावित करने के तरीके भी थे। हालांकि, इस विशेष दावे की सत्यता या इसके पीछे के सटीक कूटनीतिक कारण सार्वजनिक रूप से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन यह निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में व्यापार की भूमिका पर एक दिलचस्प दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
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