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Up Kiran, Digital Desk: देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने लाखों पेंशनभोगी बुजुर्गों को एक बेहद गंभीर चेतावनी दी है। बैंक के मुताबिक साइबर ठग अब PPO वेरिफिकेशन और पेंशन प्रोसेसिंग में देरी का डर दिखाकर पहले तो मोबाइल नंबर बदलवा लेते हैं और फिर कुछ ही मिनटों में पूरी जमा पूंजी उड़ा लेते हैं। यह खेल इतनी तेजी से होता है कि पीड़ित को पता तक नहीं चलता।

ठग ऐसे फंसाते हैं जाल में

ठग सबसे पहले फोन करते हैं। खुद को ट्रेजरी अफसर या SBI कर्मचारी बताते हैं। कहते हैं आपकी पेंशन रुक गई है या PPO में दिक्कत आ गई है। इसे ठीक करने के लिए तुरंत वेरिफिकेशन करना होगा। फिर एक लिंक भेजते हैं। बोलते हैं इस पर क्लिक करके अपना PPO चेक कर लीजिए।

बस यहीं गड़बड़ होती है। वह लिंक असल में आपके नाम से मोबाइल नंबर बदलने की रिक्वेस्ट जनरेट कर देता है। इसके बाद ठग आपको नजदीकी SBI ATM पर भेजते हैं। कहते हैं वहां IRATA रेफरेंस नंबर डालकर PPO वेरिफाई कर लीजिए। जैसे ही आप ऐसा करते हैं आपका रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर ठग के पास चला जाता है।

अब सारे OTP और अलर्ट उनके फोन पर आने लगते हैं। फिर तो वे UPI या नेट बैंकिंग से मिनटों में सारा पैसा निकाल लेते हैं। लाखों रुपये की जीवन भर की बचत एक झटके में गायब।

पिछले कुछ महीनों में कई बुजुर्ग हो चुके शिकार

रेलवे पेंशनर्स, डिफेंस पेंशनर्स और दूसरे सरकारी विभागों के रिटायर्ड कर्मचारियों के साथ ऐसे सैकड़ों मामले सामने आ चुके हैं। ज्यादातर बुजुर्ग तकनीक से कम वाकिफ होते हैं इसलिए आसानी से फंस जाते हैं।

SBI ने बताया असली कॉल कैसे पहचानें

बैंक ने साफ कहा है कि SBI कभी भी फोन पर OTP, पासवर्ड, CVV या कार्ड डिटेल नहीं मांगता। असली कॉल सिर्फ +91-1600 सीरीज के नंबर से आते हैं। कोई दूसरा नंबर दिखे तो तुरंत सतर्क हो जाएं।

अगर आपके फोन पर अचानक “Mobile Number Change Request” का मैसेज आए और आपने कोई रिक्वेस्ट न की हो तो बिना देर किए 1930 पर साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर शिकायत करें।