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Up Kiran, Digital Desk: गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जम्मू और कश्मीर  की राज्य बहाली  के लिए समयबद्ध (time-bound) पुनर्स्थापना की मांग करने वाली याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई (early hearing) की मांग पर सावधानी व्यक्त की है।

8 हफ्ते बाद होगी सुनवाई: 'पहलगाम हमले' और 'जमीनी हकीकत' का हवाला

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने "जमीनी हकीकतों" (ground realities) और हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam terror attack) का हवाला देते हुए केंद्र सरकार (Centre) के इस मामले को आठ सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य बहाली की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं (applicants) से कहा, "आपको जमीनी हकीकतों पर भी विचार करना होगा। आप पहलगाम में जो हुआ है उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते।"

संघवाद और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन?

यह मामला ऐसे समय में आया है जब जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के अधिकारों (rights of the citizens) और संघवाद (federalism) के सिद्धांत पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं। याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि राज्य बहाली में निरंतर देरी "गंभीर रूप से जम्मू और कश्मीर के नागरिकों के अधिकारों को प्रभावित कर रही है और संघवाद के विचार का भी उल्लंघन कर रही है।"

याचिकाकर्ताओं का यह भी तर्क है कि राज्य बहाली को समयबद्ध ढांचे  के भीतर बहाल करने में विफलता, संघवाद का उल्लंघन है, जो संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है।

370 हटने के 21 महीने बाद भी कोई प्रगति नहीं': वरिष्ठ वकील की दलील

वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन (Gopal Sankaranarayanan) ने कहा कि अनुच्छेद 370 (Article 370) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 21 महीने बीत चुके हैं, लेकिन राज्य बहाली की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान पीठ (Constitution Bench) ने केंद्रीय सरकार के सॉलिसिटर जनरल (Solicitor General - SG) के इस आश्वासन पर भरोसा किया था कि राज्य बहाली बहाल कर दी जाएगी।

सही चरण नहीं', SG मेहता ने कहा: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाओं की स्वीकार्यता (maintainability) पर सवाल उठाते हुए शीर्ष अदालत से जम्मू और कश्मीर की "विशिष्ट स्थिति" (peculiar position) पर विचार करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह मामला "इस स्तर पर विचार करने के लिए सही चरण नहीं है" और याचिकाएं स्वीकार करने योग्य नहीं हैं। मेहता ने कहा, “हमने दो वादे किए थे: चुनाव होंगे, और उसके बाद राज्य बहाली। आपके सम्माननीय न्यायालय को इस देश के इस हिस्से से उत्पन्न होने वाली विशिष्ट स्थिति के बारे में पता है। कई अन्य विचारणीय बातें हैं।”

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