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Up Kiran, Digital Desk: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले से एक बार फिर ऐसा मामला सामने आया है, जिसने भीड़तंत्र, अफवाहों और संवेदनहीनता की पोल खोल दी है। गजरौला थाना क्षेत्र के बिथोरा कला गांव में एक मानसिक रूप से बीमार युवक को चोरी के शक में बर्बरतापूर्वक पीटा गया। ग्रामीणों ने युवक को खंभे से बांधकर डेढ़ घंटे तक लाठियों से पीटा। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया, लेकिन तब तक समाज की मानसिकता सवालों के घेरे में आ चुकी थी।

अज्ञानता या कानून को हाथ में लेने की आदत?

गुरुवार देर रात दो बजे यह घटना तब हुई जब ग्रामीणों ने एक अंजान युवक को देखकर उसे चोर समझ लिया। बिना किसी ठोस प्रमाण के उसे खंभे से बांध दिया गया और दर्जनों लोगों ने मिलकर उस पर हमला बोल दिया। युवक चिल्लाता रहा, अपनी जान की गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा।

जब Dial 112 और गजरौला पुलिस को सूचना मिली, तब जाकर उसे छुड़ाया गया और अस्पताल पहुंचाया गया। पूछताछ में युवक ने अपना नाम राजू बताया और कहा कि वह जहानाबाद थाना क्षेत्र के दलेलगंज गांव का निवासी है।

परिवार ने किया खुलासा – “राजू मानसिक रूप से बीमार है”

पुलिस जब युवक के परिजनों से संपर्क में आई, तो परिवार ने बताया कि राजू लंबे समय से मानसिक बीमारी से जूझ रहा है और उसका इलाज भी चल रहा है। वह अक्सर बिना बताए घर से निकल जाता है। ऐसे में उसकी हालत जानकर यह सवाल उठता है क्या समाज को इतनी भी समझ नहीं कि किसी व्यक्ति की मानसिक स्थिति को पहचाना जाए?

पुलिस की लापरवाही भी बनी सवालों का कारण

घटना के बाद गजरौला थाने के एसओ जगदीप सिंह मलिक ने वरिष्ठ अधिकारियों को मामले की गंभीरता की जानकारी नहीं दी। लेकिन जब घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव ने संज्ञान लेते हुए संबंधित एसओ को तत्काल निलंबित कर दिया और पूरे मामले की जांच के आदेश दिए।

भीड़ के खिलाफ एफआईआर, लेकिन क्या ये पर्याप्त है?

पुलिस ने लगभग 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, लेकिन क्या इससे इस प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी? यह पहला मामला नहीं है जब किसी मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को चोर समझकर मारा गया हो। अक्सर ऐसे लोगों को सही समय पर मदद मिलने की बजाय हिंसा का शिकार होना पड़ता है।

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