Up Kiran, Digital Desk: मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराया, जिसके साथ ही भव्य मंदिर निर्माण का कार्य समाप्त हो गया। यह ऐतिहासिक पल विवाह पंचमी के पवित्र अवसर पर हुआ, जो भगवान राम और माता सीता के दिव्य विवाह का प्रतीक है। इस समारोह में आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
सदियों पुराने घावों पर मरहम
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर श्रद्धालुओं और गणमान्य व्यक्तियों को संबोधित करते हुए कहा, "आज अयोध्या एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बन रही है। दुनिया भर में भगवान राम की भक्ति का आलोक फैला हुआ है। हर राम भक्त का हृदय संतोष और दिव्य आनंद से भरा हुआ है, क्योंकि सदियों पुराने घाव आज भर रहे हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि यह क्षण देशभर में भगवान राम के प्रति अटूट श्रद्धा और संकल्प का प्रतीक है, जो पांच शताब्दियों से संजोया गया था।
धर्म-ध्वज का महत्त्व और भारतीय सभ्यता का पुनरुत्थान
प्रधानमंत्री मोदी ने श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर फहराए गए भगवा ध्वज का विशेष उल्लेख किया। यह ध्वज 10 फीट ऊँचा और 20 फीट लंबा था, जिस पर भगवान राम के तेज, कोविदारा वृक्ष, 'ॐ' चिन्ह और सूर्य का प्रतीक अंकित था। मोदी ने कहा, "यह भगवा ध्वज केवल एक ध्वज नहीं है, बल्कि भारतीय सभ्यता के पुनरुत्थान का प्रतीक है। इसके प्रत्येक तत्व में रामराज्य की महिमा और हमारी संस्कृति की गहरी जड़ें हैं।"
प्रधानमंत्री ने इस ध्वज को संकल्प, सफलता और दीर्घकालिक आकांक्षाओं की पूर्ति का प्रतीक भी बताया, जो भारतीय समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनर्निर्माण को दर्शाता है।
किसी भी कठिनाई से न डरने का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने इस ध्वज के गहरे नैतिक संदेश पर भी बात की। "यह ध्वज हमें प्रेरित करेगा कि जीवन की सभी कठिनाइयों के बावजूद, हमें अपने वादों को निभाना चाहिए। यह कर्तव्य, शांति और सद्भाव के सिद्धांतों का प्रतीक है, जो एक बेहतरीन और समृद्ध समाज के निर्माण की ओर इशारा करता है।"
उन्होंने कहा कि यह धर्म-ध्वज भारत की अखंडता और रामराज्य की नैतिक भावना का प्रतीक है, जो हर भारतीय के दिल और घर में बसा हुआ है।
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