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Up Kiran , Digital Desk: भारत में 2006 के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मुख्यालय समेत कई बड़े आतंकी हमलों की साजिश रचने वाला कुख्यात आतंकवादी सैफुल्लाह खालिद आखिरकार अपने अंजाम तक पहुंच गया है। रविवार को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अज्ञात हमलावरों ने उसे मार गिराया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह हमला किसने किया, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन इस खबर ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी राहत दी है। खालिद पर 2005 (बैंगलोर हमला) और 2008 (रामपुर हमला) के बीच भारत में हुए सिलसिलेवार हमलों में कई निर्दोष लोगों की जान लेने का आरोप था।
नेपाल में 'विनोद कुमार' बनकर काटी जिंदगी, रचाई शादी
सैफुल्लाह खालिद, जो कई वर्षों तक सुरक्षा एजेंसियों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब रहा, ने नेपाल में 'विनोद कुमार' के नाम से पहचान छिपाई हुई थी। सूत्रों के अनुसार, उसने अपनी असली पहचान को पूरी तरह से गुप्त रखते हुए नगमा बानू नामक एक स्थानीय महिला से शादी भी कर ली थी। भारतीय सुरक्षा बलों को लंबे समय से संदेह था कि खालिद नेपाल से ही अपने आतंकी नेटवर्क और गतिविधियों का संचालन कर रहा है। लश्कर-ए-तैयबा जैसे खूंखार आतंकी संगठन में नई भर्तियां करने में उसकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती थी। वह युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित कर उन्हें भारत के खिलाफ जिहाद के लिए उकसाता था।
नेपाल से सिंध तक: धन उगाही और खात्मे का सफर
नेपाल में लंबे समय तक रहने और अपने आतंकी साम्राज्य को फैलाने के बाद, सैफुल्लाह खालिद ने अपना ठिकाना बदलकर पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थापित कर लिया था। खुफिया सूत्रों के अनुसार, सिंध में वह लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे प्रतिबंधित संगठनों के लिए लगातार धन जुटाने के काम में सक्रिय था। वह हवाला चैनलों और अन्य अवैध माध्यमों से टेरर फंडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा था। हालांकि, उसकी यह काली कमाई और आतंकी गतिविधियों का अंत आखिरकार अज्ञात हमलावरों के हाथों हुआ, जिन्होंने उसे सिंध में ढूंढ निकाला और मौत के घाट उतार दिया।
अज्ञात हमलावरों का रहस्य
सैफुल्लाह खालिद को मारने वाले अज्ञात हमलावर कौन थे, यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है। इस हमले के पीछे किसका हाथ है, इस बारे में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ सूत्रों का मानना है कि यह हमला आपसी रंजिश या आतंकी संगठनों के भीतर की गुटबाजी का परिणाम हो सकता है। वहीं, कुछ अन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह किसी खुफिया एजेंसी का ऑपरेशन भी हो सकता है। पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां भी इस मामले की जांच में जुट गई हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस जानकारी सामने नहीं आई है।
भारत के लिए बड़ी राहत
सैफुल्लाह खालिद का मारा जाना भारत के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। वह भारत में कई बड़े आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था और उसकी मौत से आतंकी संगठनों को एक बड़ा झटका लगा है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां लंबे समय से उसकी तलाश में थीं और अब उसके खात्मे से उन्हें निश्चित रूप से सुकून मिला होगा। यह घटना यह भी दर्शाती है कि भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले आतंकवादी चाहे कहीं भी छिप जाएं, वे कानून के शिकंजे से बच नहीं सकते।
आतंकी नेटवर्क पर असर
सैफुल्लाह खालिद न केवल हमलों की साजिश रचने में माहिर था, बल्कि वह लश्कर जैसे संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार और फंड रेजर भी था। उसकी मौत से इन आतंकी संगठनों के नेटवर्क पर भी असर पड़ने की संभावना है। सुरक्षा विशेषज्ञ अब यह आकलन कर रहे हैं कि खालिद की जगह कौन लेगा और क्या इससे इन संगठनों की गतिविधियों में कोई बदलाव आएगा।
आगे की चुनौतियां
हालांकि सैफुल्लाह खालिद का मारा जाना एक महत्वपूर्ण सफलता है, लेकिन भारत की सुरक्षा एजेंसियों के सामने अभी भी कई चुनौतियां मौजूद हैं। सीमा पार से आतंकवाद का खतरा अभी भी बना हुआ है और देश के भीतर भी कट्टरपंथी विचारधारा से प्रभावित युवा मौजूद हैं। सुरक्षा बलों को लगातार सतर्क रहना होगा और खुफिया जानकारी को मजबूत कर आतंकी साजिशों को नाकाम करना होगा।
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