img

Up Kiran, Digital Desk: भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने हाल ही में अल्जीरिया का दौरा किया, जो दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। यह यात्रा, खासकर अल्जीरिया की सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में भारत के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में, बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

रक्षा सहयोग को नई दिशा:जनरल द्विवेदी की यह अल्जीरिया यात्रा, अफ्रीका में भारत की रक्षा कूटनीति को बढ़ावा देने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। अल्जीरिया, उत्तरी अफ्रीका में एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश है, और भारत के साथ उसके ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच थल सेना-से-थल सेना संबंधों को मजबूत करना, प्रशिक्षण आदान-प्रदान का विस्तार करना और सैन्य क्षमता विकास की पहलों को बढ़ाना था।

क्या हुई चर्चा:बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान, दोनों पक्षों ने मौजूदा रक्षा सहयोग पर चर्चा की और भविष्य में इसे कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है, इस पर विचार-विमर्श किया। अल्जीरिया, जो मुख्य रूप से उसी तरह के सैन्य उपकरणों का संचालन करता है जिनका भारत निर्यात करता है, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार है। भारत अल्जीरिया को अपने सैन्य अनुभव, रखरखाव और प्रशिक्षण सहायता प्रदान करने के साथ-साथ रक्षा तकनीकों में सहयोग के अवसर तलाश सकता है। इसके अलावा, रक्षा औद्योगिक साझेदारी, विशेष रूप से आधुनिकीकरण, लॉजिस्टिक्स और उपकरण समर्थन जैसे क्षेत्रों में, पर भी बातचीत की उम्मीद है।

अफ्रीका में भारत की रणनीतिक पहुंच

भारत, अल्जीरिया को अफ्रीका और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अपनी पहुंच के लिए एक महत्वपूर्ण द्वार मानता है। अल्जीरिया की ऊर्जा संपन्नता, उसके विशाल तेल, गैस और दुर्लभ पृथ्वी भंडार, और उसकी मजबूत व आधुनिक सेना, इसे व्यापक क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार बनाती है। यह यात्रा भारत की उस नीति को भी दर्शाती है जिसका उद्देश्य अफ्रीका के साथ अपने रक्षा और रणनीतिक जुड़ाव को गहरा करना है, ताकि एक संतुलित और बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके।

जनरल द्विवेदी ने इस दौरान भारत की आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता की रणनीतिक दृष्टि भी साझा की और क्षेत्रीय व वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इन चर्चाओं से दोनों देशों की सेनाओं के बीच विश्वास, तालमेल और व्यावहारिक सहयोग बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है।

--Advertisement--