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Up Kiran, Digital Desk: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को टालना हमारे हाथ में नहीं है, मगर सजगता, संवेदनशीलता और समन्वित प्रयासों के माध्यम से उनके विनाशकारी प्रभावों को कम किया जा सकता है।

देहरादून के एक प्रतिष्ठित होटल में आयोजित मानसून-2025 की तैयारियों पर कार्यशाला में उन्होंने गंभीर और चिंतनशील स्वर में कहा “आपदा की घड़ी में समय ही जीवन है।” उन्होंने बताया कि ‘आपदा मित्र’ योजना की तर्ज पर अब “आपदा सखी” योजना शुरू की जाएगी, जिसमें राज्य की जमीनी स्तर की महिलाओं को चेतावनी, प्राथमिक चिकित्सा, राहत, बचाव और मनोवैज्ञानिक सहायता जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए तैयार किया जाएगा।

कार्यशाला का वातावरण व्यावहारिक चिंताओं से भरा था दीवारों पर आपदा प्रबंधन के चार्ट टंगे थे, विशेषज्ञों के चेहरों पर चिंता और संकल्प की झलक थी। मुख्यमंत्री के शब्दों में केवल सरकारी घोषणा नहीं, बल्कि जीवन रक्षा की पुकार थी। उन्होंने प्रोएक्टिव और रिएक्टिव रणनीतियों की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि गौरीकुंड में बादल फटने की घटना में समय रहते किए गए कदमों ने हजारों जानें बचाईं।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत करोड़ों की योजनाएं और तकनीकी सत्रों में साझा की गई विशेषज्ञ राय इस बात का प्रमाण थीं कि उत्तराखंड इस बार मानसून का सामना सिर्फ हिम्मत से ही नहीं, बल्कि तैयारियों की ठोस नींव पर करेगा।

 

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