img

Up Kiran, Digital Desk: ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने हाल ही में एक दिलचस्प दावा किया है जिसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के पर्यावरणीय प्रभाव पर चल रही चर्चाओं को एक नया आयाम दिया है। ऑल्टमैन के अनुसार, चैटजीपीटी (ChatGPT) पर की जाने वाली प्रत्येक व्यक्तिगत क्वेरी (सवाल पूछने) में पानी की बहुत ही कम मात्रा का उपयोग होता है - इतना कम कि इसे एक चाय के चम्मच के पंद्रहवें हिस्से के बराबर बताया गया है।

यह जानकारी महत्वपूर्ण है क्योंकि बड़े AI मॉडल, जैसे कि चैटजीपीटी, को चलाने वाले डेटा सेंटर अपनी विशाल कंप्यूटिंग पावर को ठंडा रखने के लिए बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग करते हैं। पानी का उपयोग मुख्य रूप से सर्वर और अन्य हार्डवेयर से निकलने वाली अत्यधिक गर्मी को सोखने के लिए किया जाता है।

ऑल्टमैन ने माइक्रोसॉफ्ट के एक अध्ययन का हवाला देते हुए यह दावा किया, जिसने चैटजीपीटी को प्रशिक्षित करने और चलाने में पानी के उपयोग का विश्लेषण किया। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि चैटजीपीटी द्वारा एक क्वेरी के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला पानी गूगल जैसी पारंपरिक सर्च इंजन क्वेरी की तुलना में कम हो सकता है, हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि यह तुलना जटिल है क्योंकि पानी के उपयोग को मापने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं।

 एक चाय के चम्मच का 1/15 हिस्सा बहुत कम लगता है, लेकिन जब अरबों लोग हर दिन लाखों क्वेरी करते हैं, तो कुल पानी की खपत महत्वपूर्ण हो जाती है। यह ऑल्टमैन का बयान AI उद्योग की ओर से पारदर्शिता बढ़ाने और अपने पर्यावरणीय पदचिह्न (environmental footprint) को समझने की दिशा में एक कदम है।

तकनीकी कंपनियों पर डेटा सेंटरों द्वारा पानी और ऊर्जा की खपत को कम करने का दबाव बढ़ रहा है। AI के बढ़ते उपयोग के साथ, इन मॉडलों को अधिक टिकाऊ (sustainable) तरीके से संचालित करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। सैम ऑल्टमैन का यह दावा, हालांकि एक छोटी सी इकाई के बारे में है, इस बात पर प्रकाश डालता है कि उद्योग अपने संचालन के प्रभाव का मूल्यांकन कर रहा है और भविष्य में अधिक कुशल और पर्यावरण-अनुकूल AI समाधान खोजने की आवश्यकता है।

--Advertisement--