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Up Kiran, Digital Desk: जब 2014 में आमिर खान की ‘पीके’ रिलीज़ हुई थी तब फिल्म तो हिट हुई ही थी मगर उससे भी ज्यादा चर्चित हुआ था एक डायलॉग—“सरफराज धोखा नहीं देगा”।

इस डायलॉग की गूंज आज फिर सुनाई देती है… क्योंकि क्रिकेट के मैदान में भी एक ‘सरफराज’ है जिसने वाकई धोखा नहीं दिया। बात हो रही है सरफराज खान की एक ऐसे खिलाड़ी की जिसने मौके मिलते ही बल्ले से जवाब दिया मगर शायद टीम इंडिया के सेलेक्टर्स अब भी सवालों से जूझ रहे हैं—जिनका जवाब देने से वो बच रहे हैं।

टेस्ट डेब्यू धमाकेदार फिर भी टीम से बाहर

सरफराज खान का टेस्ट डेब्यू किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था। इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू ज़मीन पर उतरते ही उन्होंने पहली 5 पारियों में 3 फिफ्टी ठोक दीं। ये प्रदर्शन किसी भी युवा खिलाड़ी के लिए सपना सच होने जैसा होता है।

मगर सरफराज यहीं नहीं रुके। अगली घरेलू सीरीज में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक ऐसा शतक जड़ा जिसमें वो 150 रन बनाकर नाबाद लौटे। सवाल ये नहीं है कि उन्होंने रन बनाए या नहीं सवाल ये है कि क्या किसी युवा खिलाड़ी से इससे ज्यादा की उम्मीद की जा सकती है?

ऑस्ट्रेलिया टूर: सपनों का इंतज़ार… जो कभी पूरा नहीं हुआ

इन शानदार प्रदर्शनों के दम पर सरफराज खान को ऑस्ट्रेलिया टूर पर चुना गया। क्रिकेट फैंस को लगा—अब गाड़ी चल पड़ी है। मगर ये गाड़ी सिर्फ एयरपोर्ट तक चली। पूरी बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान सरफराज ड्रेसिंग रूम में बैठे रहे। कोई ‘रोटेशन पॉलिसी’ नहीं कोई ‘मौका देने की सोच’ नहीं। वो दौरा उनके लिए सिर्फ एक टूरिस्ट विज़िट बनकर रह गया। ऐसा खिलाड़ी जो लगातार रन बना रहा है उसका इस तरह बेंच पर बैठना कहीं न कहीं टीम मैनेजमेंट की सोच पर सवाल खड़े करता है।

वज़न घटाया तैयारी बढ़ाई… फिर भी नहीं चुने गए

ऑस्ट्रेलिया से लौटकर सरफराज टूटे नहीं। बल्कि उन्होंने वो किया जो शायद बहुत कम खिलाड़ी कर पाते हैं—खुद को पूरी तरह बदल डाला।
10-12 किलो वज़न घटाया। फिटनेस पर फोकस किया। यही सोचकर कि इंग्लैंड टूर के लिए नाम आएगा… मगर 24 मई को जब टीम घोषित हुई तो एक बार फिर लिस्ट में सरफराज खान का नाम नदारद था। अब सवाल उठता है कि जब प्रदर्शन भी है फिटनेस भी है और मेहनत की कोई कमी नहीं है—तो फिर सेलेक्शन में कमी कहां है।

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