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साउथ इंडियन सिनेमा की दुनिया में एक ऐसी अभिनेत्री रही, जो सिर्फ अपनी खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि अपनी गजब की अभिनय प्रतिभा के लिए भी जानी जाती थीं। वह कम उम्र में ही फिल्मों में आ गईं और अपने दम पर इंडस्ट्री में एक अलग मुकाम हासिल किया। लोग उन्हें लेडी सुपरस्टार कहकर बुलाने लगे। वह उस दौर की सबसे अधिक पसंद की जाने वाली अभिनेत्रियों में से एक थीं, यहां तक कि कई जगहों पर उन्हें देवी की तरह पूजा भी गया। लेकिन एक गलत फैसले ने उनकी पूरी ज़िंदगी बदल दी। वह फैसला था—एक विवाहित पुरुष से प्रेम और शादी। यह अभिनेत्री कोई और नहीं, बल्कि सावित्री थीं।

अभिनय में अद्भुत, निजी जीवन में असहाय

सावित्री ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई। वह बॉलीवुड सुपरस्टार रेखा की सौतेली मां थीं। सावित्री की शादी रेखा के पिता जेमिनी गणेशन से हुई थी। अपने करियर के चरम पर सावित्री के पास अपार संपत्ति और शोहरत थी। उस वक्त उनकी संपत्ति की अनुमानित कीमत करीब 100 करोड़ रुपये थी—जो उस समय के हिसाब से बेहद बड़ी रकम थी।

लेकिन जितनी तेजी से वह सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचीं, उतनी ही तेजी से सब कुछ हाथ से निकलता गया। उनके निजी जीवन में आए उलझनों ने उन्हें बुरी तरह तोड़ दिया।

गुपचुप शादी और बिगड़ती कहानी

एक गरीब परिवार से आने वाली सावित्री ने मेहनत और लगन से अभिनय की दुनिया में अपनी जगह बनाई। लेकिन जीवन की सबसे बड़ी गलती उन्होंने उस वक्त की, जब उन्होंने चुपचाप जेमिनी गणेशन से शादी कर ली। यह शादी तब उजागर हुई जब उन्होंने एक फिल्म साइन करते हुए अपने नाम के आगे ‘गणेशन’ जोड़ना शुरू किया।

सावित्री और जेमिनी के दो बच्चे हुए, लेकिन यह शादी ज्यादा समय तक सुकून नहीं दे सकी। पति की पहली शादी पहले से ही थी और सावित्री के साथ संबंध को समाज भी आसानी से स्वीकार नहीं कर पाया।

कामयाबी से जलता रहा साथी

सावित्री की फिल्म माया बाजार (1958) ने उन्हें अपार प्रसिद्धि दिलाई। लोग उन्हें सिर्फ अभिनेत्री नहीं, बल्कि देवी की तरह देखने लगे। लेकिन उनके पति जेमिनी गणेशन के लिए यह लोकप्रियता एक बोझ बनती जा रही थी। कहा जाता है कि वे उनकी कामयाबी से ईर्ष्या करने लगे थे।

वक्त के साथ सावित्री का करियर डगमगाने लगा। बताया जाता है कि जेमिनी ने न सिर्फ उन्हें भावनात्मक रूप से कमजोर किया, बल्कि उन्हें शराब की लत भी लगाई। सावित्री धीरे-धीरे एक अलग ही अंधेरे में डूबती चली गईं, जहां से लौटना उनके लिए मुश्किल होता गया।

शोहरत से संघर्ष तक

शराब की लत ने उनकी जिंदगी को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया। उनका स्वास्थ्य गिरने लगा, फिल्में मिलनी बंद हो गईं और वह आर्थिक तंगी से भी जूझने लगीं। उन पर टैक्स बकाया हो गया, जिसे वह चुका नहीं पाईं। नतीजा यह हुआ कि सरकार ने उनकी संपत्ति जब्त कर ली।

1980 के दशक में सावित्री कोमा में चली गईं और लगभग 19 महीने तक इस स्थिति में रहने के बाद, उनका निधन हो गया।

एक प्रेरक लेकिन दर्दनाक कहानी

सावित्री की कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता और शोहरत जीवन के स्थायी साथी नहीं होते। एक मजबूत इंसान भी अगर गलत फैसलों और परिस्थितियों में फंस जाए, तो उसका अंत कितना दर्दनाक हो सकता है।

वह एक अद्भुत कलाकार थीं, जिनकी फिल्में आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा हैं। लेकिन उनकी असली जिंदगी एक ऐसी कहानी है, जिसमें शोहरत, मोहब्बत, धोखा और अंतहीन संघर्ष के सभी रंग हैं।

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