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Up Kiran, Digital Desk: सीरिया में बुधवार को एक ऐतिहासिक लम्हा तब दर्ज हुआ, जब राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में देश का प्रतिनिधित्व किया। यह किसी भी सीरियाई राष्ट्रपति का छह दशकों में पहला भाषण था, जिसे लेकर सीरियाई जनता में जबरदस्त उत्साह देखा गया।

जैसे ही राष्ट्रपति अल-शरा का भाषण शुरू हुआ, दमिश्क से लेकर अलेप्पो तक की गलियों में बड़ी स्क्रीन पर इसे लाइव दिखाया गया। लोग झुंड बनाकर इकट्ठा हुए, सीरियाई झंडे लहराए और एक नई शुरुआत की उम्मीद लिए राष्ट्राध्यक्ष की बातें सुनीं।

60 साल बाद फिर से राष्ट्रपति की वापसी मंच पर

इससे पहले 1967 में राष्ट्रपति नौरेद्दीन अत्तासी ने संयुक्त राष्ट्र की महासभा को संबोधित किया था। उस वक्त अरब-इजरायल युद्ध के बाद सीरिया ने गोलन हाइट्स पर अपना नियंत्रण खो दिया था। तब से लेकर अब तक, सत्ता पर असद परिवार का दबदबा रहा और राष्ट्रपति स्तर पर कोई प्रतिनिधित्व नहीं हुआ।

साल 1970 में जब हाफ़िज़ अल-असद सत्ता में आए, तभी से सीरिया और संयुक्त राष्ट्र के संबंध ठंडे पड़ते चले गए। दशकों तक विदेश मंत्री ही महासभा में देश की ओर से बोलते रहे।

नई सरकार, नया दौर

दिसंबर में बशर अल-असद की सरकार का अंत हुआ, जिससे देश में लगभग 14 साल से जारी गृहयुद्ध पर विराम लग गया। अहमद अल-शरा के नेतृत्व में सत्ता परिवर्तन हुआ और लोगों को एक स्थिर शासन की उम्मीद मिली।

अल-शरा का संयुक्त राष्ट्र में भाषण सिर्फ राजनीतिक प्रतीक नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था कि सीरिया अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय में फिर से सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

इजरायल को लेकर तेवर सख्त

अपने संबोधन के दौरान राष्ट्रपति अल-शरा ने इजरायल की नीतियों पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि असद सरकार के जाने के बाद भी इजरायल की धमकियों का सिलसिला नहीं थमा है। उनके अनुसार, इजरायल का रवैया क्षेत्र में शांति की कोशिशों के खिलाफ है और इससे सीरिया की सुरक्षा को खतरा है।

बातचीत की उम्मीदें और शांति की दिशा

सीरिया और इजरायल के बीच सुरक्षा मुद्दों को लेकर बातचीत चल रही है। अल-शरा ने उम्मीद जताई कि निकट भविष्य में कोई ठोस समझौता हो सकता है, जिससे 1974 का अलगाव समझौता फिर से लागू हो सकेगा और इजरायली सेना पीछे हटेगी।

हालांकि, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस दिशा में किसी निर्णायक मोड़ की संभावना को कम आंकते हुए बयान दिया है।