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Up Kiran, Digital Desk: धर्मस्थल में हुए सौजन्या हत्याकांड मामले में गवाहों की सुरक्षा को लेकर चल रही बहस एक बार फिर गरमा गई है। खासकर तब, जब गवाहों पर लगातार हमले हो रहे हैं, जिससे इस संवेदनशील मामले की जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

यह मामला अक्टूबर 2012 का है, जब 17 वर्षीय पीयू छात्रा सौजन्या की निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस मामले में सीबीआई अदालत ने हाल ही में एकमात्र आरोपी संतोष राव को बरी कर दिया था। हालांकि, इस फैसले के बाद से ही जनता और सौजन्या के परिवार की तरफ से मामले की दोबारा जांच कराने की पुरजोर मांग हो रही है।

सौजन्या के परिवार और सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इस मामले के गवाहों को लगातार धमकियां मिल रही हैं और उन पर हमले भी किए जा रहे हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए सौजन्या के पिता चंडप्पा गौड़ा ने कर्नाटक हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की है। हाईकोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने की योजना पेश करने का निर्देश दिया है।

सीबीआई ने हाईकोर्ट को बताया है कि गवाहों को स्थायी सुरक्षा प्रदान करना एक बड़ी चुनौती है। जांच एजेंसी ने यह भी दोहराया है कि मामले की दोबारा जांच केवल तभी शुरू की जा सकती है, जब हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसका आदेश दिया जाए।

हाल ही में प्रमुख गवाह तिलकराज पर हुए हमले ने इन चिंताओं को और बढ़ा दिया है। बस में यात्रा करते समय तिलकराज पर हमला किया गया, जिसमें उन्हें चोटें आईं। इससे पहले उनके घर को भी इसी तरह निशाना बनाया गया था।

भले ही भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 'गवाह संरक्षण योजना, 2018' (Witness Protection Scheme, 2018) पेश की है, लेकिन संवेदनशील और हाई-प्रोफाइल मामलों में इसका क्रियान्वयन अक्सर व्यावहारिक मुश्किलों का सामना करता है।

सीबीआई का यह रुख गवाहों की व्यापक सुरक्षा सुनिश्चित करने में आने वाली जटिलताओं को उजागर करता है, खासकर जब मामले को जनता का बहुत अधिक ध्यान मिल रहा हो और प्रभावशाली व्यक्तियों के शामिल होने के आरोप बने हुए हों। अब गेंद हाईकोर्ट के पाले में है कि वह इस संवेदनशील मामले में आगे क्या कदम उठाता है।

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