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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड के कनखल मुनि मण्डल आश्रम में पिछले कुछ दिनों से एक गंभीर विवाद ने जन्म लिया है। आश्रम के परमाध्यक्ष महा मंडलेश्वर आनन्द राघव मुनि महाराज ने उदासीन अखाड़े से जुड़े सात संतों के खिलाफ आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। आरोप है कि ये संत आश्रम पर कब्जा करने के लिए गलत कदम उठा रहे हैं और विवाद खड़ा कर रहे हैं।
आश्रम के संरक्षण को लेकर भारी झगड़ा, जानिए पूरा मामला
जानकारी के अनुसार, 12 जुलाई 2025 को परंपरा के अनुसार आनन्द राघव मुनि ने संतों की मौजूदगी में स्वामी शिवानंद को आश्रम का संरक्षक घोषित किया था। इस कार्यक्रम के दौरान बिना बुलाए आए कुछ संतों ने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और कार्यक्रम में बाधा डालने की कोशिश की। इस दौरान यहां तक कि गोली चलाने की धमकी भी दी गई। तब से ही ये लोग आश्रम की जिम्मेदारी हथियाने में लगे हुए हैं।
बड़ा अखाड़ा भी विवाद में, सामाजिक बहिष्कार का प्रस्ताव पारित
आगे चलकर 20 अगस्त को उदासीन बड़ा अखाड़ा की बैठक में भी कई संतों ने आनन्द राघव मुनि का अपमान किया। यहां तक कि उनके खिलाफ कूटरचित प्रस्ताव बनाकर सामाजिक बहिष्कार का प्रस्ताव भी पास किया गया। आश्रम के वरिष्ठ नेता की अस्वस्थता और उम्र के कारण उत्तराधिकारी नियुक्त करने के निर्णय को स्वीकार न कर पाने वाले ये संत लगातार धमकियां दे रहे हैं।
क्या सच में हो रहा है आश्रम पर कब्जा?
परमाध्यक्ष आनन्द राघव मुनि का कहना है कि अखाड़े के कुछ संतों ने गैरकानूनी तरीकों से उनका निष्कासन करने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि ऐसा अधिकार केवल पंच परमेश्वर और भेख के संतों को ही प्राप्त है, जिन्होंने उन्हें 2013 में महामंडलेश्वर बनाया था। इस पूरे विवाद में सात संतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है जिनके नाम हैं – सूर्यांश मुनि, जयेन्द्र मुनि, महंत गंगा दास, चन्द्रमा दास, श्याम दास, निरंजनदास, शीतलानंद।