Up Kiran, Digital Desk: जहां कानून का सबसे सख्त पहरा होना चाहिए था, वहीं वहां मानवता को धक्का लगा। सीसामऊ थाने के पास स्थित मंदिर के सामने जो घटित हुआ, उसने पुलिस व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया। फर्रुखाबाद से भागकर कानपुर आई एक मानसिक रूप से अस्वस्थ महिला को तीन महिलाएं बेरहमी से मारने लगीं। ये घटना पुलिस की उपस्थिति में ही हुई। आसपास दर्जनों लोग खड़े थे और तमाशा देख रहे थे, लेकिन किसी ने भी हस्तक्षेप नहीं किया।
मजबूरी की शिकार महिला पर हमलावर तीन महिलाएं
घटना का वीडियो वायरल होने के बाद हंगामा मच गया। वीडियो में साफ दिखाई देता है कि तीन महिलाएं एक बेसहारा महिला पर हमला कर रही हैं। एक महिला उसके बाल पकड़कर उसे जमीन पर गिरा देती है, दूसरी महिला डंडे से प्रहार करती है, जबकि तीसरी महिला उसे घसीटती है। महिला बार-बार उठने की कोशिश करती है, लेकिन उसे हर बार गिरा दिया जाता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिसकर्मी कुछ ही दूरी पर खड़े हैं, लेकिन कोई भी इन महिलाओं को रोकने के लिए आगे नहीं आता।
यह महिला प्रियंका नामक है। वह फर्रुखाबाद से भागकर कानपुर आई थी और मानसिक रूप से अस्वस्थ है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह घटना मंदिर के पास हुई, जहां तीन महिलाएं प्रियंका पर हमला करने लगीं। आरोप यह है कि प्रियंका ने कथित रूप से आसपास के लोगों से उलझने की कोशिश की थी, जिसके बाद यह हमला हुआ। अब सवाल यह उठता है कि क्या किसी मानसिक रूप से विक्षिप्त महिला को सार्वजनिक रूप से पीटकर सजा देना उचित है? क्या पुलिस की मौजूदगी में कानून को अपने हाथ में लेने का अधिकार किसी को है?
तमाशा देख रहे लोग
वीडियो में यह भी साफ दिखता है कि चारों ओर लोग खड़े हैं, मोबाइल कैमरे चालू हैं, और वे घटना को रिकॉर्ड कर रहे हैं, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि जिस महिला को मारा जा रहा है, उसकी हालत क्या होगी। यह दृश्य समाज के पतन की ओर इशारा करता है, जहां इंसानियत की जगह तमाशबीन मानसिकता ने ले ली है।
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