
शनिवार व्रत को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं— खासकर वो लोग जिनकी कुंडली में शनि दोष है या जो इस समय साढ़े साती और ढैया से गुजर रहे हैं। असल में, हम सब यह मानकर चलते हैं कि शनि देव मतलब सज़ा, परेशानी और मुश्किलें। लेकिन सच्चाई यह है कि न्याय के देवता शनिदेव हमें हमारे कर्मों का फल देते हैं, न कि बेवजह परेशान करते हैं। अगर आपके काम नहीं बन रहे, बार-बार रुकावटें आ रही हैं या आप तनाव महसूस कर रहे हैं, तो समझिए यह समय उनकी कृपा पाने का है।
आइए, जानते हैं कि शनिवार व्रत की सही पूजा विधि क्या है और कौन से अचूक ज्योतिष उपाय आपकी जिंदगी की बड़ी से बड़ी मुश्किलों को आसानी से दूर कर सकते हैं।
शनिवार व्रत क्यों रखा जाता है?
शनिवार का दिन सीधा-सीधा न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। उनका मकसद सिर्फ संतुलन बनाना है। जब भी हमारी राशि पर साढ़ेसाती या ढैया का प्रभाव होता है, तो हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ये व्रत, ये पूजा हमें न सिर्फ उनकी क्रूर दृष्टि से बचाती है, बल्कि जीवन में सुख, शांति और स्थिरता भी लाती है। यह उन लोगों के लिए वरदान है जो व्यापार या नौकरी में तरक्की चाहते हैं या संतान सुख से वंचित हैं।
शनिदेव की पूजा विधि: बहुत सरल है ये तरीका
शुभ मुहूर्त का इंतज़ार किए बिना, सुबह जल्दी उठकर बस ये साधारण तरीके अपनाइए:
स्नान और संकल्प: सुबह नहा-धोकर साफ-सुथरे (काले या नीले रंग के हों तो उत्तम) कपड़े पहनें। अब हाथ में जल लेकर मन ही मन शनिवार व्रत का संकल्प लें।
पूजा की तैयारी: शनि देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अगर घर पर नहीं है, तो पास के शनि मंदिर में भी जाकर पूजा कर सकते हैं।
जरूरी चीजें अर्पित करें: शनिदेव को सरसों का तेल, नीले फूल (अगर उपलब्ध हो), काले तिल, काली उड़द और धूप-दीप अर्पित करें। दीपक सरसों के तेल का ही होना चाहिए।
मंत्र और पाठ:‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। इसके अलावा, हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी शनिदेव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं, क्योंकि हनुमान जी को उन्होंने खुद कष्ट न देने का वचन दिया था।
आरती और दान: पूजा के अंत में आरती करें। पूरे दिन व्रत रखकर सिर्फ एक बार ही फलाहार लें, नमक का इस्तेमाल न करें। शाम के समय भी शनिदेव की आरती करना अच्छा माना जाता है।
साढ़ेसाती और ढैया से बचने के अचूक उपाय
ये 7 छोटे और सरल ज्योतिष उपाय आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं:
पीपल का दीपक: हर शनिवार शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएँ और पाँच बार परिक्रमा करें। माना जाता है कि पीपल में शनिदेव का वास होता है।
काले तिल का दान: किसी भी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को काले तिल, काले उड़द दाल, कंबल या लोहे की कोई वस्तु दान करें। दान करने से शनि दोष कमजोर पड़ता है।
हनुमान चालीसा की शक्ति: रोजाना या हर शनिवार हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें। यह शनिदेव को शांत रखने का सबसे प्रभावशाली तरीका है।
तेल का छाया दान: एक कटोरी में सरसों का तेल लें, उसमें अपनी परछाई (छाया) देखें और फिर उस तेल को किसी गरीब को दान कर दें या शनि मंदिर में रख दें।
तामसिक भोजन से दूरी: इस दिन तामसिक भोजन (शराब, माँस आदि) से पूरी तरह दूर रहें। अपने व्यवहार में भी सादगी और सत्यता बनाए रखें।
मीठी चीज़ का सेवन: अगर आप व्रत नहीं भी रख रहे हैं, तो शनिवार के दिन किसी मीठी चीज़ का सेवन जरूर करें या गरीब बच्चों में बाँटें।
साफ-सफाई रखें: अपनी फैक्ट्री या दुकान पर लगे जंग लगे औजार या खराब मशीनों को ठीक करवाएँ। अपने जूते-चप्पल और गाड़ी की सफाई पर ध्यान दें। शनिदेव सफाई और कर्म के प्रति लगन से बहुत प्रसन्न होते हैं।
अगर आप सच्चे मन से शनिदेव की पूजा करते हैं और अपने कर्म सही रखते हैं, तो यकीन मानिए साढ़ेसाती हो या कोई भी मुश्किल, आपकी परेशानियाँ आपसे दूर रहेंगी।