
हर वर्ष ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शनि देव का जन्म हुआ था। इस दिन को शनि अमावस्या भी कहा जाता है। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत रखते हैं, और मंदिरों में जाकर विशेष पूजा करते हैं। आइए जानते हैं कि इस साल शनि जयंती कब है, पूजा का सही समय क्या रहेगा और इसका धार्मिक महत्व क्या है।
शनि जयंती 2025 की तिथि और मुहूर्त
इस साल शनि जयंती 27 मई 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार:
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 26 मई 2025 को दोपहर 12:11 बजे
अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई 2025 को सुबह 8:21 बजे
शनि जयंती के दिन उत्तर भारत में वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है। यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए करती हैं। इस दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है।
शनि जयंती का धार्मिक महत्व
भगवान शनि को न्याय का देवता माना जाता है। यह मान्यता है कि शनि देव की दृष्टि मनुष्य के कर्मों के अनुसार फल देती है। शनि की कृपा जहां जीवन को समृद्ध और सफल बना सकती है, वहीं नाराजगी से साढ़ेसाती और ढैय्या जैसे दोष भी उत्पन्न होते हैं।
कहा जाता है कि यदि शनि देव प्रसन्न हों, तो व्यक्ति को किसी भी क्षेत्र में बाधा नहीं आती। लेकिन यदि वे अप्रसन्न हो जाएं, तो जीवन में संघर्ष और बाधाएं बढ़ सकती हैं। ऐसे में शनि जयंती का दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी कुंडली में शनि दोष है।
इस दिन क्या करें:
सरसों का तेल चढ़ाएं
काले तिल अर्पित करें
काली उड़द दाल का दान करें
जरूरतमंदों को वस्त्र और भोजन का दान करें
हनुमान जी की पूजा करें (शनि दोष की शांति के लिए)
शनि जयंती पर जाप करने योग्य मंत्र
शनि देव की कृपा पाने के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप लाभकारी होता है:
ॐ शं शनैश्चराय नमः
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
ॐ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्
ॐ नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
इन मंत्रों का उच्चारण शांत वातावरण में बैठकर, एकाग्र मन से करें। इससे मानसिक शांति भी प्राप्त होगी और शनि देव की कृपा भी।
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