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Up Kiran, Digital Desk: कहते हैं कि वक्त इंसान को बदल देता है। कोई टूट जाता है तो कोई और मज़बूत बनकर उभरता है। नीले ड्रम वाले कांड के बाद चर्चा में आई मुस्कान की जिंदगी भी अब लोगों को हैरान कर रही है। हत्या और धोखे जैसे संगीन आरोपों के बीच जेल पहुंची मुस्कान और उसके साथी साहिल की नई छवि इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है।

जेल में बदला अंदाज़

मुकदमे की शुरुआत में जब मुस्कान कोर्ट और जेल के चक्कर लगाती दिखी थी, तो उसके चेहरे पर थकान और डर साफ झलकता था। लेकिन वक्त ने जैसे कहानी पलट दी हो। आज वही मुस्कान कोर्ट में आते-जाते आत्मविश्वास से भरी दिखाई देती है। गवाह मानते हैं कि उसकी चाल, बोलचाल और हाव-भाव अब पहले से कहीं अधिक निखरे हुए लगते हैं।

मुस्कान इन दिनों गर्भवती भी है और डॉक्टरों का कहना है कि इसका असर उसके चेहरे और शारीरिक बनावट दोनों पर नजर आ रहा है। वहीं साहिल ने खुद को नए अंदाज़ में ढाल लिया है। बाल-दाढ़ी कटवाकर वह भी पहले से बिल्कुल बदले हुए दिखाई देते हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जेल के नियमित रूटीन समय पर खाना, व्यायाम और नींद, उनकी सेहत को सुधार रहे हैं।

मुस्कान और साहिल का रिश्ता

जेल के भीतर मुस्कान पूरी तरह अकेली नहीं है। साहिल का साथ उसे सहारा दे रहा है। उनकी आपसी बातचीत और हंसी-मज़ाक ने माहौल को हल्का कर दिया है। स्टाफ तक मानता है कि दोनों की जोड़ी एक-दूसरे की ताकत बन चुकी है।

गवाहों की उलझन

सामान्य तौर पर कैदियों की जिंदगी के साथ चमक-दमक फीकी पड़ जाती है, मगर मुस्कान के मामले में गवाह अलग कहानियां सुना रहे हैं। उनका कहना है कि वह ऐसे पेश आती है जैसे किसी नए किरदार की तैयारी कर रही हो। उसका आत्मविश्वास और अंदाज़ लोगों को सोचने पर मजबूर कर देता है कि आखिर यह सहजता असली है या एक सोची-समझी रणनीति।

नीले ड्रम की परछाई

भले ही आज उसका चेहरा अलग कहानी कह रहा है, लेकिन वह "नीले ड्रम" अब भी उसकी पहचान से अलग नहीं हो सकता। इसी से अपराध की परतें खुली थीं और जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी। आज वही मुस्कान अपने आत्मविश्वास और व्यवहार के कारण नए सिरे से सुर्खियों में है।

समाज की राय बंटी

लोगों की राय भी इस पूरी घटनाक्रम पर दो हिस्सों में बंटी हुई है। एक वर्ग मानता है कि मुस्कान ने मुश्किल हालातों को अपने पक्ष में ढाल लिया है और अपने व्यक्तित्व के दम पर माहौल को काबू कर लिया है। वहीं दूसरी ओर, कई लोगों का मानना है कि यह सब अदालत को प्रभावित करने का तरीका है। समाजशास्त्रियों के मुताबिक, ऐसे मामलों से यह सवाल मजबूती से उठता है कि इंसान की असली झलक हमें कब देखने को मिलती है गुनाह करते वक्त, या सजा भुगतते वक्त?

आगे क्या होगा

अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि मुस्कान और साहिल का यह नया अंदाज़ अदालत में उनके लिए मददगार साबित होगा या फिर उनकी छवि और उलझन बढ़ा देगा। आने वाले दिनों में फैसले की आहट के साथ यह कहानी समाज के लिए और भी दिलचस्प मोड़ ले सकती है।