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Up Kiran, Digital Desk: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा पास करना आसान नहीं है, खासकर जब आपके पास संसाधनों की कमी हो। हर साल UPSC सिविल सेवा परीक्षा आयोजित की जाती है, लेकिन बहुत कम लोग ही इसे पास कर पाते हैं। वे कई चुनौतियों का सामना करते हैं और अपने सपनों को साकार करते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है। महाराष्ट्र के सोलापुर की रहने वाली स्वाति मोहन राठौड़ ने बड़ी कामयाबी हासिल की है।
स्वाति के पिता सब्ज़ियाँ बेचते थे, जो परिवार की जीविका का साधन था। उनकी माँ एक गृहिणी हैं। आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवार से होने के कारण, स्वाति को शुरू से ही अपनी शिक्षा जारी रखने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बुनियादी संसाधनों का अभाव था, लेकिन इसके बावजूद स्वाति ने न केवल सपने देखे, बल्कि कड़ी मेहनत से उन्हें साकार भी किया।
स्वाति ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक सरकारी स्कूल से पूरी की। स्वाति शुरू से ही पढ़ाई में बहुत होशियार थीं। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, स्वाति ने भूगोल में स्नातक और बाद में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। उनके माता-पिता को विश्वास था कि उनकी बेटी भविष्य में उनका नाम रोशन करेगी। इसीलिए उन्होंने स्वाति के लिए जी-जान से कोशिश की।
माँ ने गहने गिरवी रखे
स्वाति ने मन ही मन ठान लिया था कि अब वह यूपीएससी की तैयारी करेगी, क्योंकि इसके ज़रिए वह अपने और अपने परिवार के जीवन में बदलाव ला सकती है। कई मुश्किलों के बावजूद, उसने यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। स्वाति की तीन बहनें और एक भाई है। स्वाति ने लगातार 5 बार यूपीएससी परीक्षा दी। कई बार असफल होने के बावजूद, उसने हिम्मत नहीं हारी। एक समय ऐसा भी आया जब उसके परिवार की हालत ऐसी थी कि स्वाति की पढ़ाई और परिवार के भरण-पोषण के लिए उसकी माँ को गहने गिरवी रखने पड़े, क्योंकि स्वाति के पिता ही उसके परिवार में कमाने वाले इकलौते सदस्य थे।
कड़ी मेहनत लाती है रंग
अनगिनत कठिनाइयों और वर्षों के संघर्ष के बाद स्वाति और उसके माता-पिता की कड़ी मेहनत रंग लाई। स्वाति ने यूपीएससी सिविल सेवा 2023 परीक्षा में अखिल भारतीय रैंक 492 हासिल की। स्वाति के संघर्ष की सफलता की कहानी न केवल उसके गाँव, परिवार और शहर के लिए, बल्कि उन सभी के लिए भी प्रेरणा है जो जीवन में अच्छा करने और कड़ी मेहनत से अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं।
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