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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को शिकोहपुर भूमि सौदा मामले (Shikohpur land deal case) में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) के पति और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा (Robert Vadra) को नोटिस जारी किया है।  राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) ने इस बहुचर्चित मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दायर आरोपपत्र (charge sheet) पर संज्ञान लिया है और वाड्रा (Robert Vadra) सहित कुल 11 व्यक्तियों को नोटिस जारी किए हैं।

वाड्रा (Robert Vadra) की दलीलें 28 अगस्त को पेश की जाएंगी, जो इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख भी है।

ED का आरोप और जांच (ED's Allegations and Investigation):

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुग्राम (Gurugram) के शिकोहपुर गांव (Shikohpur village) में कथित धोखाधड़ी (fraudulent means) से 3.53 एकड़ जमीन की कथित खरीद से जुड़े एक मामले में वाड्रा (Robert Vadra) और दस अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। जांच एजेंसी का दावा है कि अपराध की आय (proceeds of crime) को वाड्रा (Robert Vadra) द्वारा नियंत्रित कई कंपनियों के माध्यम से पहुँचाया गया था। जांच के एक हिस्से के रूप में, ED पहले ही वाड्रा (Robert Vadra) और उनकी कंपनी मेसर्स स्काई लाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (M/s Sky Light Hospitality Pvt. Ltd.) से जुड़ी 43 संपत्तियों (43 properties) को जब्त कर चुका है, जिनकी कुल कीमत ₹37.64 करोड़ है।

मामले की जड़ें और विवाद (Origins of the Case and Controversy):

इस मामले की जड़ें गुरुग्राम पुलिस (Gurugram Police) द्वारा 2008 में दायर एक FIR (FIR filed in 2008) से जुड़ी हैं,  जिसमें आरोप लगाया गया था कि वाड्रा की कंपनी ने मेसर्स ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड (M/s Onkareshwar Properties Pvt. Ltd.) से ₹7.5 करोड़ में जमीन खरीदी थी, कथित तौर पर एक झूठी घोषणा (false declaration) का उपयोग करके।

2012 में, वही जमीन डीएलएफ लिमिटेड (DLF Ltd.), एक प्रमुख रियल एस्टेट फर्म (leading real estate firm) को ₹58 करोड़ में बेची गई थी, जिससे इस लेनदेन की वैधता (legality) और प्रकृति (nature) पर चिंताएं बढ़ गईं। 

यह विवाद तब और गहरा गया जब अशोक खेमका (Ashok Khemka), जो उस समय हरियाणा में भूमि चकबंदी और भूमि अभिलेख महानिदेशक और पंजीकरण महानिरीक्षक (Director General of Land Consolidation and Land Records and Inspector-General of Registration in Haryana) थे, ने राज्य विनियमों (state regulations) के उल्लंघन का हवाला देते हुए भूमि उत्परिवर्तन (land mutation) को रद्द कर दिया। उनके इस फैसले ने एक राजनीतिक तूफान (political storm) खड़ा कर दिया और राजनीतिक हस्तियों से जुड़े भूमि सौदों पर कानूनी और प्रशासनिक जांच (legal and administrative scrutiny) के एक लंबे चरण को प्रेरित किया।

वाड्रा (Robert Vadra) ने पहले किसी भी कानून या नियम का उल्लंघन करने से इनकार किया है और आरोपों को 'राजनीतिक प्रतिशोध' (political vendetta) से प्रेरित बताया है।  हालांकि, ईडी (ED) का दावा है कि उनके पास मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering) के ठोस सबूत (strong evidence) हैं, जहां अपराध से अर्जित धन का उपयोग अचल संपत्तियों (immovable properties) को खरीदने के लिए किया गया था।  यह मामला भारतीय राजनीति और न्यायपालिका (Indian judiciary) में एक महत्वपूर्ण बिंदु बना हुआ है, और 28 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। 

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