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उत्तर प्रदेश में रहने वाले बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक नई आर्थिक चुनौती सामने आई है। राज्य की विद्युत आपूर्ति करने वाली कंपनी उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने इस महीने से बिजली बिल में फ्यूल सरचार्ज बढ़ाने का फैसला लिया है। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा, क्योंकि अब उन्हें हर महीने बिजली का बिल 1.24 फीसदी ज्यादा भरना होगा।

क्या होता है फ्यूल सरचार्ज और क्यों बढ़ा है?

फ्यूल सरचार्ज बिजली उत्पादन में लगने वाले ईंधन की लागत के आधार पर तय किया जाता है। जब कोयला, गैस या अन्य स्रोतों की कीमतें बढ़ती हैं, तो बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से उसकी भरपाई करने के लिए यह अतिरिक्त शुल्क वसूलती हैं। यह एक तरह से वैसा ही है जैसे पेट्रोल और डीजल के दामों में रोज़ाना उतार-चढ़ाव होता है, और उसी के मुताबिक लोगों का खर्च प्रभावित होता है।

इस सरचार्ज का मकसद बिजली उत्पादन में आने वाले वास्तविक खर्च को उपभोक्ताओं से वसूलना होता है, ताकि कंपनियों को घाटा न हो। लेकिन इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की मासिक बजट पर पड़ता है।

गर्मी के मौसम में बढ़ेगा असर

गर्मी के मौसम में बिजली की खपत स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है। पंखे, कूलर, एसी और फ्रिज जैसे उपकरणों का ज्यादा इस्तेमाल होता है, जिससे बिल पर असर पड़ता है। अब जब फ्यूल सरचार्ज बढ़ाया गया है, तो यही बढ़ी हुई खपत भारी बिल के रूप में उपभोक्ताओं को परेशान करेगी। जिन घरों में बिजली का लोड पहले से ज्यादा है, उन्हें अब और महंगी बिजली झेलनी होगी।

बिजली बिल में कैसे जुड़ता है फ्यूल सरचार्ज?

फ्यूल सरचार्ज एक प्रतिशत के रूप में तय होता है, जो बिजली के यूनिट रेट के ऊपर लगाया जाता है। यह हर महीने बदला जा सकता है, यानी अगर अगले महीने ईंधन की कीमतें कम हो गईं, तो सरचार्ज घट भी सकता है। लेकिन मौजूदा गर्मी और ईंधन महंगाई को देखते हुए यह संभावना फिलहाल कम ही लग रही है।

नियामक आयोग ने दिया था अधिकार

यह बढ़ोतरी कोई आकस्मिक फैसला नहीं है। हाल ही में उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के तहत बिजली कंपनियों को हर महीने फ्यूल एंड पावर कॉस्ट एडजस्टमेंट सरचार्ज (FPPCA) तय करने का अधिकार दे दिया था। इसी का फायदा उठाकर यूपीपीसीएल ने पहली बार उपभोक्ताओं से यह सरचार्ज वसूलने की प्रक्रिया शुरू की है।

उपभोक्ता परिषद ने जताया विरोध

बिजली उपभोक्ता परिषद ने इस कदम का विरोध किया है। उनका कहना है कि यूपीपीसीएल पहले से ही उपभोक्ताओं के 33,122 करोड़ रुपये का बकाया लौटाने में असफल रहा है, ऐसे में बिना पारदर्शिता के यह सरचार्ज वसूलना अनुचित है। परिषद का यह भी आरोप है कि कंपनी जनता को जानकारी दिए बिना मनमाने ढंग से दरें बढ़ा रही है, जो जनहित के खिलाफ है।

क्या उपभोक्ताओं के पास कोई विकल्प है?

फिलहाल उपभोक्ताओं के लिए यह बदलाव अनिवार्य है और इससे बचने का कोई सीधा विकल्प नहीं है। हालांकि, वे ऊर्जा बचत के उपाय अपनाकर अपने बिल को कम कर सकते हैं, जैसे कि एलईडी बल्ब और इन्वर्टर टेक्नोलॉजी वाले उपकरणों का उपयोग करना, गैर जरूरी उपकरणों को बंद रखना आदि। इसके अलावा, उपभोक्ताओं की परिषद और संगठनों द्वारा यदि कानूनी कार्रवाई की जाती है, तो आने वाले समय में सरकार पर दबाव बन सकता है।

इस नई व्यवस्था के चलते बिजली उपभोक्ताओं को हर महीने की खपत के हिसाब से बढ़ा हुआ बिल भरना होगा, जिससे खासकर मध्यम और निम्न आय वर्ग के परिवारों की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है।

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