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Up Kiran, Digital Desk: गुरु नानक देव जी के 556वें प्रकाश पर्व के अवसर पर पाकिस्तान जाने वाले सिख और हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए यात्रा काफी कष्टकारी रही। पाकिस्तान में गुरु नानक के पवित्र स्थलों पर श्रद्धा अर्पित करने की उम्मीद में गए तीर्थयात्रियों को वाघा सीमा पार करने के बाद काफी मुश्किलें आईं। अधिकारियों ने यात्रियों के दस्तावेज़ों की जांच में यह पाया कि कई हिंदू यात्रियों के धार्मिक पहचान के रूप में 'हिंदू' दर्ज था, जबकि 'सिख' के रूप में दर्ज लोगों को ही आगे जाने की अनुमति दी गई। इस कारण लगभग 300 यात्रियों को पाकिस्तान में प्रवेश नहीं मिला।

तीर्थयात्रा पर गए 300 से अधिक यात्री हुए वंचित
इस घटना ने तीर्थयात्रियों के बीच निराशा की लहर दौड़ा दी। करीब 2,100 वीजा जारी किए गए थे, जिनमें से 300 से अधिक लोग, जिनमें सिख और हिंदू दोनों धर्म के लोग शामिल थे, प्रवेश से वंचित कर दिए गए। यात्रा में भाग लेने वाले लोगों को यह साफ नहीं था कि उनके धार्मिक पहचान के कारण उन्हें यह अस्वीकृति क्यों मिली। पाकिस्तान के अधिकारियों ने इस पर स्पष्ट किया कि कुछ लोग तीर्थयात्रा पर नहीं, बल्कि अपने परिवार से मिलने के लिए पाकिस्तान आ रहे थे, और उन्हें भी प्रवेश से रोक दिया गया।

पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रिया
पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यह कदम यात्रा के उद्देश्य के अनुरूप था। अधिकारियों का दावा था कि कुछ लोग धार्मिक यात्रा के बजाय व्यक्तिगत कारणों से पाकिस्तान आ रहे थे। हालांकि, इस पर तीर्थयात्रियों का कहना था कि उन्हें यात्रा के उद्देश्य के बावजूद सख्त वीजा शर्तों का सामना करना पड़ा, जो यात्रा की मूल भावना को प्रभावित करता है।

गुरु नानक देव जी के पवित्र स्थलों पर श्रद्धांजलि की उम्मीद थी
गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं का सम्मान करने के लिए सिख समुदाय के लोग पाकिस्तान आ रहे थे। गुरु नानक के जन्म स्थान ननकाना साहिब और अन्य पवित्र स्थलों पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यह यात्रा महत्वपूर्ण थी। लेकिन यात्रा के दौरान आई यह अड़चनें श्रद्धालुओं के लिए एक मानसिक आघात बन गईं, जो अपनी धार्मिक भावनाओं को पूरा करने के लिए पाकिस्तान आए थे।