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Up Kiran, Digital Desk: रक्षाबंधन से पहले एक परिवार को सुखद सदमा लगा है। 1960 में गंगा स्नान मेले में लापता हुई एक बच्ची 65 साल बाद अपने परिवार से मिली है। यह किसी फिल्मी दृश्य जैसा था। बिजनौर के कंभोर गाँव की रहने वाली बालेश, जो नौ साल की उम्र में लापता हो गई थी, अपने भाई-बहनों और रिश्तेदारों से मिलकर बेहद भावुक हो गई। अब वह रक्षाबंधन के दिन अपने भाई जगदीश को राखी बाँधेगी।
1960 में, कंभोर निवासी भगवाना सिंह अपनी बेटी बालेश के साथ गंगा स्नान मेले में पहुँची थीं। लेकिन एक घटना ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। अचानक मेले में भगदड़ मच गई और अफरा-तफरी मच गई। इसी बीच, 9 साल की बालेश अपने परिवार से बिछड़ गई। उसे ढूँढने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन वह कहीं नहीं मिली।
मेले में मौजूद एक दंपत्ति उसे अपने घर ले गए। फर्रुखाबाद ज़िले के एक गाँव में दल कुमारी और लाल सिंह ने उसे बेटी की तरह पाला। वहाँ उसकी शादी सिरौली गाँव के अमन सिंह से हुई और उनके बच्चे भी हैं। इस घटना को कई साल बीत चुके हैं, बालेश अब दादी बन चुकी है। एक दिन उसने अपने पोते प्रशांत को अपने बचपन की सच्चाई बताई कि कैसे वह एक बड़े मेले में अपने परिवार से बिछड़ गई थी। फिर उसने बताया कि कैसे वह एक अनजान गाँव में पहुँच गई। यह सुनकर प्रशांत गूगल मैप्स की मदद से बिजनौर के कंभौर गाँव पहुँच गया।
प्रशांत गाँव पहुँचा और लोगों से भगवाना सिंह और उसके बच्चों के बारे में पूछा। प्रशांत ने बालेश के भाई जगदीश से मुलाकात की और उसे अपनी दादी की कहानी सुनाई, और दोनों ने फोन पर बात की। बातचीत से पुरानी यादें ताज़ा हो गईं और उसे यकीन हो गया कि यह उसकी बहन है। इसके बाद जगदीश सिंह अपने परिवार के सदस्यों सतेंद्र सिंह, नरेश सिंह, नरपाल सिंह के साथ सिरौली पहुँचे और बालेश को अपने साथ गाँव ले आए। गाँव और आसपास के इलाकों से रिश्तेदार बालेश को देखने और मिलने के लिए जमा हो गए हैं।
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